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झीलों के आसपास बहुमंजिला इमारतें रोक रही हवा का मुक्त प्रवाह

एयर कंडीशनर, जेनरेटर,  रेस्टोरेंट, वाहन, मोटर बोट बढ़ा रहे झील क्षेत्र मे तापमान 

 

घुट रहा झीलों का दम

उदयपुर। झील क्षेत्र मे बहुमंजिला होटलों, मोटर संचालित नावों, किनारों पर वाहनों के रेलमपेल से झीलों का दम घुट रहा है। यह पीड़ा रविवार को आयोजित झील संवाद मे उभरी। 

झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों के आसपास बहुमंजिला इमारतें झील सतह पर हवा के मुक्त प्रवाह को बाधित कर रही है। साथ ही  होटलों मे संचालित एयर कंडीशनर, जेनरेटर, रेस्टोरेंट तथा किनारों पर वाहनो के रेलमपेल, मोटर बोट इत्यादि पर्यटन गतिविधियों से झील क्षेत्र का तापमान बढ़ जाता व घुलनशील ऑक्सीजन घट जाती है। यह स्थिति झीलों के जीवन के लिए घातक है।  

झील विकास व सुरक्षा समिति के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि गर्मियों मे यह स्थिति और गंभीर हो जाती है। गर्मी बढ़ने के साथ ही एलगी व अन्य जलीय खरपतवार बढ़ने लगी है। यह भी झील का तापक्रम बढ़ाते हैं व ऑक्सीजन को कम करते हैं। इससे मछलियों के जीवन पर संकट हो सकता है।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों मे सौर ऊर्जा संचालित एयरेटर बढ़ाने होंगे ताकि कृत्रिम रूप से झीलों को ऑक्सीजन दी जा सके। 

युवा पर्यावरणविद दिगंबर सिंह व कुशल रावल ने कहा कि झील क्षेत्र मे वृक्षों को बढ़ाना होगा ताकि वे तापक्रम को नियंत्रित करें। झील प्रेमी द्रुपद सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि झीलों का दम घुट रहा है। पर्यटन के लालच मे हम झीलों पर अत्याचार कर रहे हैं। 

संवाद से पूर्व पिछोला के अमरकुण्ड झील क्षेत्र मे श्रमदान कर तैरती पॉलीथिन, पाउच, शराब व पानी की बोतलें, कचरा व जलीय खरपतवार को हटाया गया।  श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, द्रुपद सिंह, रमेशचंद्र राजपूत, कुशल रावल, दिगम्बर सिंह, तेजशंकर पालीवाल, डॉ अनिल मेहता, नन्द किशोर शर्मा व स्थानीय रहवासियों ने भाग लिया।