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जैविक विधि से जलीय वनस्पतियों पर नियंत्रण व झील की दीवारों पर प्रेशर ग्राउंटिंग करवाई जाए

झील में रविवारीय श्रमदान के बाद जन संवाद 

 

उदयपुर 17 अप्रेल 2022। मछलियाँ मारने पर रोक लगा कर जैविक विधि से जलीय वनस्पतियों पर नियंत्रण व झील की दीवारों पर प्रेशर ग्राउंटिंग करवाई जाए। उक्त विचार रविवारीय श्रमदान के पश्चात् आयोजित जन संवाद मे उभर कर आये ।

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पिछोला व फतह सागर में बहुतेरी झील जलीय वनस्पतिया पैदा हो गयी है। मछलियाँ मारने पर रोक लगा कर जलीय वनस्पतिया खाने वालीं मछलियाँ छोडी जाए तो जलीय वनस्पतियों पर नियंत्रण किया जा सकता है। कई करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी जलीय वनस्पतियों पर नियंत्रण नही हो पाया है ।

पर्यावरण विशेषज्ञ नंद किशोर शर्मा ने कहा कि जलीय वनस्पतियां हर मौसम में परिवर्तन के साथ अपना रुप बदलती रहती है। पेयजल की झीलों की जलीय गुणवत्ता को बनाये रखने व झीलों को पुख्ता सीवर मुक्त रखने के लिए झील की दीवारों पर प्रेशर ग्राउंटिंग करनी होगी ताकि झील के पानी को बचाया जा सके व उसे सिवरमुक्त रखा जा सके।

झील प्रेमी द्रुपद सिंह ने कहा की कुछ जलीय वनस्पतियां मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं इसलिए जैविक विधि से ही इससे राहत मिल सकती है ।

संवाद पूर्व श्रमदान कर पिछोला के अमरकुण्ड झील क्षेत्र से तेरती हुई प्लास्टिक की थैलियां, भारी मात्रा में ब्रेड, सड़ी गली खाद्य सामग्री, पानी, शराब की बोतलें और जलीय खरपतवार झील से बाहर निकाली। श्रमदान में रमेश चंद्र गहलोत, द्रुपद सिंह चौहान, नंद किशोर शर्मा, तेज शंकर पालीवाल सहित स्थानीय रहवासियों ने भाग लिया।