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उदयपुर के वीर मेजर झाला को मिला दूसरी बार वीरता पुरस्कार 

"झाला का जुनून हो"

 

पहले लगता था गोलियों की आवाज़ से दर लेकिन फिर हो गयी आदत

उदयपुर -  राजस्थान अपने आप में वीर शौर्य और साहसिक जवानो, पुत्रो के लिए मशहूर है।  मेजर भरत सिंह झाला ने एक बार फिर वीरता पुरस्कार हासिल कर राजस्थान और अपने शहर की शान और मान बढ़ाया है।  भारतीय सेना द्वारा वीरता का पुरस्कार से झाला को दूसरी बार नवाजा गया है। कश्मीर घाटी में कई आतंकियों का खात्मा करने वाले उदयपुर के मेजर भरत सिंह झाला को भारतीय सेना ने वीरता पुरस्कार दिया है। झाला को दूसरी बार यह पुरस्कार दिया जा रहा है।

भरत सिंह झाला उदयपुर के झालो का गुडा, कैलाशपुरी के रहने वाले है। मेजर झाला 2008 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। सेना में भर्ती होने कर साथ साथ देश में घुसे आतंकियों का सफाया करते हुए देश की रक्षा करने के साथ साथ झाला ने मेवाड़ का भी मान बढ़ाया है। आपको बता दे की मेजर झाला के पिता रघुनाथ सिंह राजस्थान पुलिस के सब इंस्पेक्टर रह चुके है।  

हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकी को किये ढेर 

34 राष्ट्रीय राइफल में तैनात मेजर झाला को 19 अप्रैल 2021 को जम्मू-कश्मीर के शोपियां के जइपोरा में हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकी और 14 नवम्बर 2021 को लश्कर के दो आतंकियों को ढेर करने के लिए सम्मान दिया गया है। इसमें से एक हिजबुल का टॉप कमांडर आमिर हुसैन था।

टू सेना मेडल इस बार देश में सिर्फ तीन सैनिकों को ही मिला - 

सेना की ओर से बार टू सेना मेडल इस बार देश में सिर्फ तीन सैनिकों को ही मिला है। इसमें से एक उदयपुर के मेजर झाला हैं। झाला को पिछले साल भी सेना मेडल से नवाजा गया था। तब झाला ने शोपियां में ही लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों को ढेर किया था। झाला ने 2008 में भारतीय थल सेना अकादमी में प्रशिक्षण लेकर जाट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन लिया था। वे पिछले ढाई साल में 14 आतंकियों का खात्मा कर चुके हैं।

पहले लगता था गोलियों की आवाज़ से डर  लेकिन फिर हो गयी आदत 

मेजर झाला ने बताया कि शुरू में मुठभेड़ के दौरान बेहद करीब से गोलियां गुजरती थी तो डर लगता था। कई बार जहां हम खड़े होते हैं, कुछ देर बाद वहां खड़े आतंकी को गोली लगती है, तब खुद को भाग्यशाली समझते थे। अब इतने ऑपरेशन कर लिए हैं कि इन सब की आदत हो गई है।
 

अक्टूबर 2020 में झाला को एक गाँव में लश्कर-ए-तयैबा के आतंकवादियों के छुपे होने की खबर मिली थी। उस समय झाला अपने साथ 40 जवानो की टुकड़ी के साथ आतंकियों के क्षेत्र को घेर लिया था आतंकवादी एक घर के पीछे झाड़ियों में छुपे हुए थे।  उस समय झाला ने आतंकियों को सरेंडर करने के लिए अनाउसमेंट भी किया लेकिन आतंकवादियों ने उन पर गोलियों से हमला करना शुरू कर दिया।  जिसके बाद उनकी टुकड़ी ने जवाबी कार्यवाही में गोलिया चला कर आतंकवादियों को देर कर दिया।