फर्जी दस्तावेज़ के जरिए पुलिस कांस्टेबल की नौकरी प्राप्त करने वाले दोषी को तीन साल की सजा
26 साल तक पुलिस विभाग में नौकरी की, जिसके बाद यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ
उदयपुर 5 सितंबर 2024। 45 साल पहले 8वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट और जन्म तिथि के दस्तावेज़ों का उपयोग करके पुलिस कांस्टेबल की नियुक्ति प्राप्त करने वाले एक आरोपी को अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है। आरोपी, जीवाराम मीणा, ने 26 साल तक पुलिस विभाग में नौकरी की, जिसके बाद यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
जानकारी के अनुसार, एसपी के आदेश पर भूपालपुरा थाना में 2 नवंबर 2005 को जीवाराम मीणा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि जीवाराम ने 10 अगस्त 1979 को पुलिस कांस्टेबल की नियुक्ति के लिए 8वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट पेश की और जन्म तिथि संबंधी दस्तावेज़ भी झूठे दिए। जीवाराम ने वास्तविकता में 8वीं कक्षा पास नहीं की थी।
इस धोखाधड़ी के कारण विभाग को लंबे समय तक इसकी जानकारी नहीं मिली। 2005 में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सेशन कोर्ट में चालान पेश किया। यह मामला 30 जनवरी 2021 को सीजेएम कोर्ट में निस्तारण के लिए भेजा गया।
सुनवाई के दौरान सहायक अभियोजन अधिकारी ने जीवाराम मीणा के खिलाफ 4 गवाह और 10 दस्तावेज पेश किए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम)-4 जज मनीष कुमार जोशी ने जीवाराम मीणा को दोषी करार दिया। कोर्ट ने जीवाराम को तीन साल की कैद और 30 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।