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दिल्ली गेट चौराहे पर यातायात प्रयोग को लेकर लोगो ने दी मिलीजुली प्रतिक्रिया

कुछ ने फ्री लेफ्ट टर्न की तारीफ़ की तो कुछ बोले पहले वाली ही बेहतर थी

 

उदयपुर के देहली गेट चौराहे पर कुछ दिन पहले फ्री लेफ्ट टर्न व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए चौराहे पर मौजूद फव्वारे को भी छोटा किया गया था जिस पर लोगो ने विरोध भी जताया था एवं असमंजस की स्थिति बनी हुई थी और इसी को लेकर कोर्ट ने भी हाल ही में पुरानी व्यवस्था को पुनः चौराहे पर लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए। 

दिल्ली गेट चौराहा शहर का प्रमुख चौराहा माना जाता है और सरकारी हॉस्पिटल, कोर्ट, मुख्य बाजार, कलेक्ट्रेट के समीप होने से ट्रैफिक का सर्वाधिक दबाव इसी चौराहे पर रहता है। यही कारण है की यहाँ अक्सर ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ियों की लंबी कतारे देखी जा सकती है और शहर की जनता पिछले लंबे समय से इस स्थिति से जूझ रही है। 

प्रशासन द्वारा इस स्थिति को बदलने की नीयत से एक प्रयोग के रूप में फ्री लेफ्ट टर्न को व्यवस्था को चौराहे पर लागू किया था लेकिन किसी हद तक यह प्रयोग शहरवासियों के मुताबिक विफल होता हुआ नज़र आया। शायद इसी के मद्देनज़र कोर्ट ने भी पुरानी व्यवस्था को बहाल करने का अंतरिम आदेश दिया। 

यथास्थिति जानने के लिए जब उदयपुर टाइम्स की टीम ने शहरवासियों से जानकारी जुटाना चाही तो लोगो की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई। कुछ लोगो ने पुरानी व्यवस्था को सही ठहराया तो कुछ लोग नई व्यवस्था से संतुष्ट नज़र आये। 

स्थानीय निवासी पेशे से पेंटर ज़ाकिर हुसैन नई व्यवस्था से संतुष्ट दिखे उन्होंने बताया कि पहले पांच बत्ती थी तो ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती। फ्री लेफ्ट व्यवस्था सही थी हालाँकि लोगो को लंबा घूमकर आना पड़ता था ऐसे में एमरजेंसी हालते में मुश्किल पैदा हो सकती थी। नई व्यवस्था से मंडी के कोने में जाम लगना शुरू हो गया था। व्यवस्था तो दोनों ही बिगड़ी हुई थी। 

ओंकार लाल पकौड़ेवाला जीतू खंडेलवाल ने फ्री लेफ्ट टर्न व्यवस्था को बहुत अच्छा बताया। उन्होंने कहा की पहले बहुत जाम लगा करता था। अब अच्छा लग रहा है। इस व्यवस्था से दुकानदारों को भी कोई समस्या नहीं हो रही है। 

चौराहे पर ही अपनी फोटो कॉपी की दुकान चलाने वाले गौरव तुलसीजा ने भी फ्री लेफ्ट टर्न व्यवस्था को अच्छा बताते हुए प्रशासन को धन्यवाद दिया और बताया की जो बुज़ुर्ग पैदल क्रॉस करते थे उन्हें बहुत समस्या पेश आती थी। पहले की स्थिति में 21 दिन में 42 बार जाम लगता था यानि दिन में दो से तीन बार जाम लगता था और अभी एक बार भी जाम नहीं लगा। 

चौराहे पर ठेले पर सब्ज़ी विक्रय करने वाले हेमंत घांची ने बताया की वह इसी इलाके में 20 सालो से सब्ज़ी का ठेला लगाते है उनके मुताबिक पहले वाली व्यवस्था ज़यादा बेहतर थी क्यूंकि लोगो को अब चौराहा क्रॉस करने के लिए पूरा लम्बा चक्कर लगाकर आना पड़ता है और लोगो को खरीदारी करने का समय नहीं मिला पाता जिससे उनका और आसपास के दुकानदारों के व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ा है। 

इसी तरह फल विक्रेता रज़िया बानू ने भी पुरानी व्यवस्था को ही बेहतर माना है उन्होंने कहा की पहले ग्राहक आया करते थे लेकिन नई वयवस्था लागू होने से लोगो को रुकने का वक़्त नहीं मिल पाने से ग्राहक आना बंद हो गए और उनका रोज़गार काफी हद तक प्रभावित हुआ है। उन्होंने भी पुरानी व्यवस्था फिर से लागू करने की मांग की।       

 आप भी अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जाकर दे सकते है। क्या पुरानी व्यवस्था सही थी या फ्री लेफ्ट टर्न व्यवस्था सही थी ?