मिजोरम में पहली बार तीन महिलाओ ने चुनाव जीतकर इतिहास रचा
दो महिलाए ZPM से तथा एक महिला MNF से जीती
40 विधायकों वाली मिजोरम विधानसभा चुनाव की गिनती कल पुरी हो गई जिनमे नतीजों के अनुसार सत्तारूढ़ MNF (मिज़ो नेशनल फ्रंट) सत्ता से बाहर हो गई है। अंतिम परिणामो में मिजोरम में पूर्व IPS लालदुहोमा की पार्टी ZPM (ज़ोराम पीपल्स मूवमेंट) 27 सीट जीती, MNF (मिज़ो नेशनल फ्रंट) को 10 सीट मिली वहीँ भाजपा को दो और कांगेस को 1 सीट मिली।
साथ ही मिजोरम विधानसभा में पहली बार तीन महिला विधायक जीत कर विधानसभा में पहुंचकर नया इतिहास बनाएगी। मिजोरम के विधानसभा चुनाव में पहली बार एक साथ तीन महिलाए चुनी गई है। हालाँकि 14 महिलाओ ने चुनाव लड़ा थे जिनमे से तीन महिलाओ को चुनावी सफलता मिली है।
आइज़ोल साउथ 3 (Aizawl South-III) से ZPM की टिकट पर बेरिल वन्नेइहसांगी (Baryl Vanneihsangi) ने 9370 वोट लेकर 1414 वोट से MNF प्रत्याशी को हरया। लुंगलेई ईस्ट (Lunglei East) से ZPM की टिकट पर से लालरिनपुई (LALRINPUII) ने 5641 वोट लेकर 1646 वोट से MNF को हराया। तुईपुई वेस्ट (West Tuipui) से MNF की टिकट पर प्रोवा चकमा (PROVA CHAKMA) ने 7167 वोट लेकर ZPM के उम्मीदवार को हराया।
ज़ोराम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) ने दो महिलाओ को टिकट दिया था और दोनो ही महिलाओ को जीत मिली जबकि मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) ने भी दो महिलाओ को टिकट दिया था जिनमे से एक महिला जीती। वहीँ भाजपा और कांग्रेस ने भी दो दो महिलाओ को प्रत्याशी बनाया लेकिन दोनो पार्टी की कोई महिला चुनाव नहीं जीती जबकि 9 महिलाओ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाई।
इस राज्य का एक दिलचस्प आंकड़ा यह है की पिछले 27 सालो में मिज़ोरम में कोई भी महिला चुनाव नहीं जीत पाई है। हालाँकि 2014 के उपचुनाव में एकमात्र महिला वनलालावमपुई चावंगथु (Vanlalawmpuii Chawngthu) ने ह्रांगतुर्जो (Hrangturzo) सीट से जीत कर मंत्री बन पाई।
2018 के मिज़ोरम चुनाव में 18 महिलाओ ने चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी महिला चुनाव जीतकर विधायक नहीं बन पाई थी। इसके पीछे मिज़ोरम राज्य में पितृसत्तामक समाज है। हालाँकि मिज़ोरम में प्रति 1000 पुरुषो के अनुपात में 975 महिला है। मिज़ोरम में पिछले 36 सालो में मंत्रिमंडल में केवल दो महिलाएं थी।
मिज़ोरम के राज्य मंत्रिमंडल में पहली बार 1987 में लालहिमपुई हमार शामिल हुई थी। इसके बाद 2014 उपचुनाव में ह्रांगतुर्जो सीट से कांग्रेस की टिकट से उपचुनाव जीत कर वनलालावमपुई चावंगथु मंत्री बनी थी। उन्हें कांग्रेस सरकार में रेशम उत्पादन, मत्स्य पालन और सहकारी विभाग में मंत्री बनाया गया था।
केंद्र शासित मिज़ोरम में पहला चुनाव 1972 में हुआ था। उस समय 4 महिलाओ ने चुनाव लड़ा था लेकिन चारो की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी। 1978 के दूसरे चुनाव में मिज़ोरम नेशनल फ्रंट की टिकट पर सेरछिप विधानसभा सीट से एल थानमावी ने चुनाव जीता था। एल थानमावी मिज़ोरम की न सिर्फ पहली महिला विधायक बनी बल्कि पहली महिला मंत्री भी बनी।
1984 के चुनाव में तो किसी महिला ने चुनाव ही नहीं लड़ा। 1986 में मिज़ोरम को केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद 1987 में पहला चुनाव हुआ उनमे भी किसी महिला प्रत्याशी का खाता नहीं खुला। 1989 में 4 महिलाओ ने चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाई वहीँ 1993 में 3 महिलाओ ने चुनाव लड़ा लेकिन जीत हासिल नहीं हुई।
1998 में 10 महिलाओ ने चुनाव लड़ा लेकिन कोई चुनाव नहीं जीत पाई। इसी प्रकार 2003 में 7 महिलाओ ने चुनाव लड़ा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। 2008 में 8 महिलाओ ने चुनाव लड़ा लेकिन जीत तब भी हासिल नहीं हुई।
2013 में 6 महिलाओ ने चुनाव लड़ा जिनमे से जीत तो दूर 4 महिलाओ की ज़मानत तक ज़ब्त हो गई। 2018 में सबसे अधिक 18 महिलाओ ने चुनाव लड़ा लेकिन कोई महिला चुनाव जीत कर विधानसभा नहीं पहुँच पाई यहाँ तक कि 2014 में उपचुनाव जीतने वाली वनलालावमपुई चावंगथु भी ह्रांगतुर्जो (Hrangturzo) सीट से चुनाव हार गई।
आखिर 2023 में एक नहीं बल्कि तीन महिलाओ ने चुनाव जीतकर हार के इस सूखे को समाप्त किया। आपको बता दे ईसाई बहुल इस राज्य में साक्षरता प्रतिशत 91% है इसके बाजजूद भी महिलाओ की भागीदारी नगण्य भागीदारी थी। उम्मीद है सत्ता में आई ZPM की टिकट पर चुनी गई महिलाओ को मंत्रिमंडल में भी जगह मिलेगी।