एकाउंटेंट की परिभाषा में कॉस्ट अकाउंटेंट को शामिल करने हेतु सांसद ने वित्त मंत्री को पत्र लिखा
ICMAI की ओर से सांसद को दिया गया था ज्ञापन
उदयपुर 8 मार्च 2025। सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएमएआई) की मांग पर आयकर विधेयक, 2025 की धारा 515 (3) (बी) के अंतर्गत एकाउंटेंट की परिभाषा में कॉस्ट अकाउंटेंट को शामिल करने को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है।
सांसद रावत ने पत्र में बताया कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएमएआई) द्वारा आयकर विधेयक, 2025 की धारा 515 (3) (बी) के अन्तर्गत एकाउंटेंट की परिभाषा में सम्मिलित किये गये चार्टड अकाउंटेंट के साथ ही कॉस्ट अकाउंटेंट को शामिल करने का अनुरोध किया गया है। आईसीएमएआई के अनुसार भारत का लागत लेखाकार संस्थान एक सांविधिक निकाय है जिसे संसद द्वारा विशेष अधिनियम, अर्थात् लागत लेखाकार अधिनियम, 1959 के तहत स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के पेशे का नियमन और विकास करना है।
यह भारत सरकार के कॉर्पाेरेट मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। यह संस्थान विश्व का सबसे बड़ा लागत और प्रबंधन लेखांकन निकाय है, जिसमें लगभग एक लाख योग्य सीएमए (कॉस्ट मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स) और 6 लाख से अधिक छात्र सीएमए पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे हैं। संस्थान अंतर्राष्ट्रीय लेखाकार महासंघ, एशिया और प्रशांत लेखाकार महासंघ व दक्षिण एशियाई लेखाकार महासंघ का संस्थापक सदस्य है।
संस्थान और इसके सदस्य अपने योगदान के लिए दृढ़ संकल्पित हैं ताकि सभी विकसित भारत-2047 के विज़न को साकार कर सकें। संस्थान की ओर से सुझाव दिया गया कि आयकर विधेयक, 2025 के धारा 515(3) (इ) के तहत लेखाकार की परिभाषा में कॉस्ट एकाउंटेंट को शामिल किया जाए। इस समावेशन से व्यवसायिक क्षेत्र में बेहतर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा, समावेशन की प्रक्रिया मजबूत होगी, और विकसित कराधान व्यवस्था के तहत लागत लेखाकारों के विशेषज्ञ कौशल का उपयोग कराधान और अनुपालन से संबंधित गतिविधियों में किया जा सकेगा। सांसद रावत ने संस्थान की इस मांग पर विचार करने का अनुरोध किया है।