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मुनव्वर राणा के निधन पर शोक की लहर

लखनऊ में ली अंतिम सांस

 

उदयपुर, 15 जनवरी। दुनिया के बड़े मशहूर शायर मुनव्वर राना का लखनऊ पीजीआई अस्पताल में निधन हो गया। रविवार को करीब 11:00 बजे  दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह 71 साल के थे।

राना पिछले कई दिनों से लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें किडनी व हृदय रोग से संबंधित समस्या थी। राना देश के लोकप्रिय शायरों में से एक थे, जो हिंदी और उर्दू दोनों में लिखते थे। अपने पसंदीदा शायर के यूं अचानक चले जाने से सभी अचंभित हैं। अखिलेश यादव से लेकर इमरान प्रतापगढ़ी तक सभी ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।

मुनव्वर राना के निधन पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने शोक जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा। 

'मां' पर कविता को लोगों ने खूब पसंद किया

मुनव्वर राना का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था। उर्दू साहित्य और कविता में उनका योगदान, खासकर उनकी गजलों के लिए व्यापक रूप से पहचाना गया। वह अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों का इस्तेमाल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को काफी पसंद आता था। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता 'मां' है, जो गजल शैली में मां के गुणों का वर्णन करती है। मुनव्वर राना का अधिकांश जीवन कोलकाता में बीता।उन्होंने भारत और विदेशों में मुशायरों में उपस्थिति दर्ज कराई। उनकी बेटी सुमैया सपा पार्टी की सदस्य हैं।

असहिष्णुता के मुद्दे पर लौटाया था पुरस्कार

मुनव्वर राना को उर्दू साहित्य के लिए 2014 में अकादमी पुरस्कार और 2012 में शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया था।  उन्होंने लगभग एक साल बाद असहिष्णुता के मुद्दे पर अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। उनके अन्य पुरस्कारों में अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार शामिल हैं। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। साथ ही बढ़ती असहिष्णुता के कारण कभी भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई थी।