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51 दिव्यांग निर्धन जोड़े बने हमसफ़र

नारायण सेवा संस्थान का 39वां सामूहिक विवाह हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न

 

उदयपुर, 27 फरवरी 2023। नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में सेवा महातीर्थ, बड़ी में 39वे निःशुल्क निर्धन एवं दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह के दूसरे दिन रविवार को 51 जोड़ो ने पवित्र अग्नि के फेरे लेकर एक -दूसरे का जीवन पर्यन्त साथ निभाने का संकल्प लिया।

प्रातः 10 :15 बजे सजे-धजे दूल्हों ने परंपरागत तोरण की रस्म का निर्वाह किया। विवाह के लिए बने विशाल पाण्डाल में 51 वेदियों पर भीलवाड़ा के पंडित योगेंद्र आचार्य, शास्त्री उपेन्द्र चौबीसा व विकास उपाध्याय के निर्देशन में वैदिक ऋचाओं के बीच 51 जोड़ों ने साथ फेरे लिए। 

दुल्हनों ने समारोह के भव्य मंच पर सज -धज कर ढोल ढमाकों के बीच प्रवेश किया। वरमाला की रस्म प्रज्ञाचक्षु करोली के केसरी नन्दन व हाथ से दिव्यांग झारखंड की उर्मिला, लसाड़िया के  प्रज्ञाचक्षु प्रेमचंद मीणा व 3 साल की उम्र में दोनों पांवों से पोलियो की शिकार सुरजा मीणा, महेंद्र कुमार व कलावती आमलिया (दोनों जन्मान्ध) , भरतपुर के सत्येंद्र व झारखंड सुनिता ( दोनों दिव्यांग) के साथ निदेशक वन्दना अग्रवाल व पलक के सानिध्य में आरम्भ हुई, इस दौरान पाण्डाल देर तक 'तालियों से गुजता रहा।

समारोह में विशिष्ट अतिथि उर्मिला कुमारी लन्दन, डॉ. प्रेमरानी सिंगल व वीना शर्मा यूएसए, के.के. गुप्ता डूंगरपुर व कुसुम गोयल मथुरा थे।

संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ ने कन्यादान के इस अनुष्ठान में सहयोगियों व नवयुगलों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि देव दुर्लभ मानव जीवन हमें भागवतकृपा से जो भी उपलब्ध है, उसका उपभोग समाज के पीड़ित और वंचित वर्ग के लिए कर जीवन को सार्थक करें।

संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने अतिथियों व वर-वधुओं का स्वागत करते हुए बताया कि पिछले 21 वर्षों में संस्थान 2200 निर्धन व दिव्यांग जोड़ों की सुखद गृहस्थी बसाने में सहायक बना है। उन्होंने बताया कि इस विवाह में जो जोड़ें परिणय सूत्र में बंध रहे हैं, उनमे राजस्थान, बिहार, झारखंड़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, व गुजरात शामिल हैं।

वरमाला की रस्म के बाद दुल्हा दुल्हनें भव्य विवाह मंडप में पहुंचे इस दौरान कोई व्हीलचेयर पर तो कोई वैशाखी और कैलिपर्स के सहारे अपने लिये निर्धारित वेदी पर पहुंचे, जहां उन्होंने परिजनों व धर्म माता पिता के सानिध्य में पवित्र अग्नि के फेरे लिए। इस बार सामूहिक विवाह का ध्येय वाक्य 'जल ही जीवन' के अनुसार नवयुगलों को सात फेरों के बाद 'पानी बचाने' का संकल्प भी दिलाया गया। 

सभी नव दंपतियों को संस्थान व अतिथियों के द्वारा उपहार प्रदान किये गए। संस्थान ने प्रत्येक जोड़े को सभी वस्तएं प्रदान की, जो एक नई गृहस्थी के लिए आवश्यक होती है।जिसमें गैस चूल्हा, पलंग, बिस्तर, अलमारी, बर्तन, पंखा, जिसमें सिलाई मशीन, पानी की टंकी संदूक आदि। इसके अलावा प्रत्येक दुल्हन को मंगलसूत्र, कर्णफूल, लोंग, पायल व दूल्हे को अंगूठी, परिधान, घड़ी आदि भेंट कर नम आंखों से उन्हें विदा किया गया।

दोनों ने एक-दूसरे की कमी समझी - हुए एक 

एक हाथ से तो दूसरा पैर से दिव्यांग है, परन्तु जीवन मे कभी हार नहीं मानी। अपने हौसलों को बुलन्द कर दोनों ने जैसे-तैसे बी.ए. तक की पढ़ाई की।  केसरी नन्दन शर्मा जो कि टोड़ा भीम, करौली के रहने वाले हैं। 6 साल की उम्र से कमर एवं बांए पांव से दिव्यांग हैं। 26 वर्ष से लाठी के सहारे घर से चलकर अहमदाबाद में पान का गल्ला चला गुजारा करते हैं । वहीं झारखंड निवासी उर्मिला का भी जीवन ऐसा ही रहा। 4 माह की थी तब बुखार आया उसके बाद से ही बांए हाथ की नस में रक्त का संचार कम होने से हाथ पतला व कमजोर हो गया।

भाई और चाचा ने दोनों का मिलन करा 3 माह पहले सगाई तो करवा दी परंतु दोनों के पिता की मौत के बाद घर के हालात ऐसे नहीं रहे कि वे शादी के बंधन में बंध पाएं। मां आस-पड़ोस के घरों में झाडू-पोछा और बर्तन धो कर गुजारा कर रही है। ऐसे में कौन एवं कैसे करवाएं शादी? कहीं से कोई आस नही? लेकिन ईश्वर ने उनकी सुनी 39वे सामूहिक विवाह में दोनों ने फेरे लेकर जन्म- जन्म के साथी बने।