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आयड़ नदी पर NGT हुआ सख्त, दिए जांच के आदेश

झील संरक्षण समिति की शिकायत पर एनजीटी ने ऑर्डर जारी कर नदी पेटे में जारी निर्माण कार्य को रोकने के आदेश दिए हैं

 

आयड़ नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर स्मार्ट सिटी का निर्माण कार्य खटाई में पड़ गया है। नदी पेटे में टाईलिंग करने,कॉक्रीटिंग से पक्का निर्माण करने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ब्यूरो (एनजीटी) ने सख्त रवैया अपनाया है। झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ तेज़ राज़दान ने राज्य सरकार व अन्य के विरुद्ध एनजीटी में याचिका दायर की थी जिसमे मामले की पैरवी एडवोकेट राहुल चौधरी और एडवोकेट भाग्यश्री पंचोली ने की थी।  

झील संरक्षण समिति की शिकायत पर एनजीटी ने ऑर्डर जारी कर नदी पेटे में जारी निर्माण कार्य को रोकने के आदेश दिए हैं। मामले में एनजीटी ने एक संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसमे मध्यप्रदेश पोल्यूशन बोर्ड के एक प्रतिनिधि को शामिल करते हुए उदयपुर कलेक्टर और जल संसाधन विभाग को छह सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ एक्शन रिपोर्ट ई-फाइल से पेश करने के लिए पाबंद किया है।

इधर मामले में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल को भी जांच कमेटी का सपोर्ट करने के साथ समन्वय बिठाने को कहा है। मामले में एनजीटी सेंट्रल जोन भोपाल बेंच के न्यायमूर्ति श्योकुमार सिंह एवं एक्सपर्ट मेंबर डॉ. ए सेंथिल वेल ने नदी पेटे में हो रहे निर्माण को लेकर ऑर्डर जारी किया.जिम्मेदारों को नोटिस जारी करने और एक माह के दरमियान जवाब माँगा है।  

अदालत ने कहा है कि सेवाश्रम पुलिया, आयड़ पुलिया और पुलां तक आयड़ नदी पेटे में कंक्रीटीकरण किया जा रहा है। इससे मानसून में पानी की बहाव क्षमता में कमी आएगी। बाढ़ की संभावना बढेगी। 

जल संसाधन विभाग की ओर से पहले ही इस पूरे इलाके को बाढ़ संभावित क्षेत्र घोषित किया हुआ है। कंक्रीट बिछाने से नदी का प्राकृतिक बहाव भी कम हो जाएगा। फर्शी और कंक्रीट से शहर में भूमिगत जल रिचार्ज का सिस्टम भी गड़बड़ाएगा। एनजीटी ने अपने ऑर्डर में नदी को पूर्ववत हाल में लाने को भी कहा है। साथ ही कहा कि पर्यावरण के हिसाब से ये महत्वपूर्ण मुद्दा है। सरकार छह सप्ताह में मामले को लेकर ई-फाइलिंग से जवाब पेश करे। 

डॉ.अनिल मेहता (झील संरक्षण समिति ) कहते है की आयड एक नदी है,जो जीवित पर्यावरण तंत्र है.पेटे में पत्थर जड़ना नदी की हत्या करना है। यह उसी तरह है जैसे इंसानों के पेट में पत्थर भर देना। पत्थर से नदी का मूल स्वरुप बादल कर नाली बन गया है। इससे प्राकृतिक रूप से भूजल रिचार्ज बाधित हो रहा है, वहीँ पक्का पेटा होने से वर्षा जल प्रवाह में वृद्धि होगी। तेज़ प्रवाह टाइल्स को बहाकर ले जाएगा, जो की करोड़ों रुपए की बर्बादी है। पिछली बरसात में कई टाइले उखड गयी है। आयड नदी में हो रहा निर्माण गलत है,फिर भी इसे कोई रोक नही रहा है।