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कोरोना के प्रति सतर्कता इन गाँव वालो से सीखे - उदयपुर के नागलिया ने पेश की नज़ीर 

भींडर पंचायत समिति के ग्राम पंचायत नागलीया में अब तक कोरोना की नो एंट्री

 

ग्राम पंचायत नागलीया के इन तीन गांवों में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं

उदयपुर, 17 मई 2021 । जिले में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्र भी अछूते नहीं रहे हैं। अब गांवों में भी कोरोना पैर पसार रहा है, लेकिन भींडर पंचायत समिति के ग्राम पंचायत नागलीया में सोमवार तक एक भी कोरोना मरीज रिकॉर्ड नहीं किया गया। ग्राम पंचायत नागलीया में तीन राजस्व गांव आते हैं। इनमें नागलीया, खेडा फला और राणी डूगला को मिलाकर कुल जनसंख्या लगभग 2800 है। गांव में आमदनी का मुख्य जरिया खेती और मजदूरी है।  

एमए पास सरपंच कर रहे हैं समझाइश

नागलीया के सरपंच मनमोहन मीणा

नागलीया के सरपंच मनमोहन मीणा खुद पॉलिटिकल साइंस से एमए पास है। गांवों में वेक्सीन को लेकर अफवाहों को रोकने के लिए वे खुद घर-घर जाकर लोगों को समझा रहे हैं। गांव के बुजुर्ग लोगों को भी साथ लिया। घर-घर जाकर मास्क बांटे और लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया। गांव में युवाओं की एक टीम बनाकर लोगों को मास्क पहनने, सर्दी-खांसी-जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने के लिए समझा रहे हैं। शुक्र है अभी तक गांव में एक भी कोरोना संक्रमित दर्ज नहीं हुआ है। आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि प्रशासन के निर्देशानुसार कोविड गाइडलाइन की पालना करते हुए इस महामारी पर विजय हासिल करें।

तकनीक और युवाओं की ली मदद

वल्लभनगर उपखंड अधिकारी श्रवण सिंह राठौड़ ने बताया कि जिला कलक्टर चेतन देवड़ा के निर्देशानुसार वॉट्सएप ग्रुप बनाकर और माइक से गांवों में कोविड गाइडलाइन की पालना के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। गांवों में घर-घर जाकर मास्क पहनने और सामाजिक दूरी रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लगातार ग्राम पंचायत कोर ग्रुप और निगरानी दल के माध्यम से गांवों में कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करने और वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों को समझा रहे हैं। डोर-टू-डोर सर्वे में जिन लोगों में खांसी-जुकाम के लक्षण पाए गए, उन्हें मेडिकल किट उपलब्ध कराकर होम आइसोलेशन के लिए पाबंद किया गया है।

दूर हुआ वेक्सीन का डर

बीडीओ डॉ. विजेंद्र शर्मा ने बताया कि शुरू-शुरू में लोग वेक्सीन से डर रहे थे, लेकिन अब लोगों के समझ में आ रहा है कि कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय वेक्सीन है। वेक्सीन की उपलब्धता के अनुसार गांवों में वेक्सीन के लिए चिकित्सा विभाग की टीमें काम कर रही हैं। गांव में आबादी काफी छितराई हुई है। बसावट कुछ इस तरह की है कि लोग दूर-दूर रहते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना हो जाती है।