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कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने वालों को टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं-केंद्र सरकार

जब तक ज्यादा जोखिम के तौर पर पहचान ना हो तब तक ज़रूरत नहीं 

 

भारत में कोरोना के लगातार बढ़ते केस और बूस्टर डोज़ की शुरुआत के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को कोविड टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है, जब तक ज्यादा जोखिम (High risk) वाले व्यक्ति के तौर पर उनकी पहचान न हो। 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एडवाइजरी में ज्यादा जोखिम वाले व्यक्ति का मतलब ज्यादा उम्र या अन्य बीमारी खासकर हाइपरटेंशन, फेफड़े और किडनी से जुड़ी बीमारियों, मोटापा आदि से ग्रसित शिकार लोगों से है। 

आईसीएमआर ने टेस्टिंग की इस नई स्ट्रैटजी को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि लक्षण वाले मरीजों की जल्द से जल्द पहचान हो और उन्हें सही समय पर आइसोलेशन के साथ उचित इलाज दिया जाए। बुजुर्गों और अन्य बीमारियों के शिकार लोगों में संक्रमण की पहचान में तेजी लाई जाए।  

आईसीएमआर ने लिस्ट जारी कर बताया की वर्तमान में कोविड-19 के संदिग्धों की जाँच के लिए प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट यानी ऐहतियाती जांच के तौर पर होम या सेल्फ टेस्ट या रैपिड एंटीजन टेस्ट मौजूद है। जबकि अन्य तरीकों में आरटीपीसीआर, ट्रूनैट, सीबीएनैट, आरटीलैंप, रैपिड मॉलीक्लूयर टेस्टिंग सिस्टम और अन्य तरह के मान्यता प्राप्त टेस्ट शामिल हैं।