अभिभावकों का शिक्षा मंत्री पर आरोप निजी स्कूलों के बन गए है संरक्षक
फीस को लेकर एक बार फिर अभिभावक सड़कों पर, शुक्रवार को करेगें "शिक्षा संकुल" का घेराव, अभिभावकों की मांग शिक्षा मंत्री बर्खास्त हो,
शिक्षा मंत्री बर्खास्त हो, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित करने की मांग
कोरोनाकाल में स्कूल फीस की मुद्दा अभी भी जारी है। राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर अभिभावक एक बार फिर सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ जो पिछले डेढ़ सालों से फीस को लेकर संघर्ष कर रहे है। इस शुक्रवार को प्रातः 10 बजे "सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट 2016 " की पालना सुनिश्चित करवाने की मांग को लेकर "शिक्षा संकुल" के घेराव की घोषणा की है। संयुक्त अभिभावक संघ ने इस घेराव के जरिये "प्रदेश के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग" पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए, निजी स्कूलों के दबाव में कार्य करने का भी आरोप लगाते हुए शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की है।
जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आये तीन महीने होने को आये किन्तु ना राज्य सरकार आदेश की पालना करवा रही है ना शिक्षा विभाग करवा रहा है। अभिभावकों को लगातार प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है, विभाग में लगातार शिकायतें दर्ज करवाई जा रही है किंतु कोई कार्यवाही नही हो रही है। यहां की सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है किंतु शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग मूक दर्शक बनकर अभिभावकों का तमाशा देखकर निजी स्कूलों को संरक्षण दे रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 किश्तों में फीस जमा करवाने के आदेश 5 अगस्त तक दिए थे। जिसको लेकर निजी स्कूल संचालक अब मेसेज और फोन कॉल के जरिये अभिभावकों को चेतावनी दे रहे है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मियाद पूरी होने पर अभिभावकों पर अवहेलना की धमकियां दे रहे है। किंतु जो स्कूलों को फीस एक्ट 2016 लागू करना था उस पर बिल्कुल भी कार्यवाही नही कर रहे है इसके उल्ट अभिभावकों को धमकाया जा रहा है और बोल "हम ही है हाईकोर्ट हम ही सुप्रीम कोर्ट" "जो करना है कर लो हम अपने हिसाब से ही फीस लेंगे।"
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश का अभिभावक राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों से कोई भीख नही मांग रहे है, वह केवल अपना हक मांग रहे है जो राज्य का कानून हम अभिभावकों को देता है, देश के इतिहास का पहला आंदोलन है। जिसमे ना राहत मांगी जा रही है ना सहायता मांगी जा रही है केवल कानून के पालन की बात की जा रही है उसके बावजूद राज्य सरकार, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग स्वयं के कानून की धज्जियां उड़ाकर निजी स्कूलों के संरक्षण और दबाव में कार्य कर ना केवल अभिभावकों के साथ खिलवाड़ कर रही है बल्कि वह छात्र-छात्राओं के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रही है। 30 जुलाई को अंतिम प्रदर्शन नहीं होगा यह दूसरे फेज का आगाज है। अगर राज्य सरकार अपनी हठधर्मिता पर उतारू रहती है तो ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।