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नौकरी के चलते कर सकेंगे पार्ट टाइम पीएचडी

यूजीसी: रेगुलेशन 2022 को मंजूरी 

 

नौकरी के चलते पीएचडी नहीं कर पाने वाले पेशवरों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नए दरवाजे खोले है। विश्विद्यालय अनुदान आयोग ने नौकरी के चलते पीएचडी नहीं कर पाने वाले नौकरीपेशा को बड़ी राहत दी है। अब वर्किंग प्रोफेशनल नौकरी के साथ-साथ पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे। 

यूजीसी कीउंसिल की बैठक में पीएचडी रेगुलेशन 2022 के ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई हैं।  इसमें पीएचडी प्रोग्राम में छह महीने का कोर्स वर्क रेगुलर मोड से करना होगा, जबकि थीसिस समेत अन्य रिसर्च वर्क पार्ट टाइम मोड से कर सकेंगे। अगले शैक्षणिक सत्र 2022-23 से विश्वविद्यालयों, सीएसआइआर, आइसीएमआर, आइसीएआर आदि इन्हीं नियमों के तहत पीएचडी में दाखिले होंगे। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी पीएचडी सीटों का ब्योरा अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी होगा। इसमें पीएचडी गाइड से लेकर विषय भी दर्शाने होंगे।

पीएचडी दाखिले के लिए 70 अंक लिखित और 30 अंक इंटरव्यू के रहेंगे। पीएचडी प्रोग्राम में कम से कम 12 क्रेडिट और अधिक से अधिक 16 क्रेडिट होने अनिवार्य रहेंगे। इसके अलावा रिटायरमेंट के बाद शिक्षक 70 वर्ष की आयु तक रिसर्च क्षेत्र में शिक्षक के रूप में दोबारा पैरेंट यूनिवर्सिटी में सेवाएं दे सकेंगे। इसमें अलग-अलग वर्ग निर्धारित किए गए हैं।अब थीसिस पीर रिव्यू जर्नल में छपवा और पेटेंट करवा सकेंगे नए रेगुलेशन में उम्मीदवार से लेकर विश्वविद्यालयों को आजादी दी गई है। अब पीएचडी उम्मीदवार अपनी थीसिस को पेटेंट करवा सकेंगे। इसके अलावा पीएचडी की रिसर्च फाइडिंग को क्वालिटी जर्नल यानी पीर रिव्यू जर्नल में छपवा सकते हैं।

ऑनलाइन और ऑफलाइन वाइवा का विकल्प 

पहली बार पीएचडी वाइवा ऑनलाइन भी होगा। इसका मकसद अभ्यर्थी और विश्वविद्यालय के समय तथा खर्च बचाना हैं। वहीं यदि किसी छात्र को किसी प्रकार की दिक्कत हो तो वाइवा ऑफलाइन दिया जा सकता हैं। 

पीएचडी 6 साल में करनी होगी पूरी

पीएचडी को 6 साल में पूरी करना होगा। संस्थान दो साल से ज्यादा अतिरिक्त समय नहीं देगा। महिलाओं और विकलांगो (40 फीसदी से अधिक) को छह साल के अलावा 2 साल अतिरिक्त समय का प्रावधाव किया हैं।