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Udaipur पितृ स्मृति वन नष्ट, 33 से ज्यादा पेड़ों को जड़ से खत्म किया 

निगम ने कहा मिनी फॉरेस्ट बनाएंगे

 

उदयपुर, 21 अक्टूबर । एक तरफ सरकार पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण अभियान चला रही है, वहीं शहर की नगर निगम पेड़ों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। आज पर्यावरण को स्वच्छ रखना एक चुनौती बन गया है। इस चुनौती का सामना करने के लिए जनभागीदारी काफी जरूरी है। इसी कारण 2019 में गुलाब बाग में वन विभाग के सहयोग से तैयार पितृ स्मृति वन में पितरों की स्मृति में लोगों को पौधरोपण करने के लिए प्रेरित किया था। इस पहल से एक आस्था पौधों के साथ जुड़ेगी।

लोग अपने पूर्वजों एवं सगे संबंधियों की याद में स्मृति वन में पौधा लगा सकेंगे। उन पौधों की उचित देखभाल की जाएगी। इसके शुरू होने से लोगों में आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होगा।पौधों के लिए एक अलग आस्था पनपेगी। परंतु नगर निगम द्वारा पितृ स्मृति वन के करीब 33 वृक्षों में आधे से ज्यादा पेड़ों को जड़ से खत्म किया जा चुका है। इन पेड़ों के अवशेष व जिनके नाम पर पौधा लगाया गया था, उसकी नेम प्लेट अब कचरे के ढेर में पड़े हैं। इस जगह पर अब बायो डायवर्सिटी फोरेस्ट बनाया जा रहा है।

तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया और तत्कालीन कलेक्टर विष्णुचरण मल्लिक की मौजूदगी में वन विभाग के तत्कालीन डीएफओ ओमप्रकाश शर्मा ने यहा पहल की शुरुआत की थी। अब काटे गए पेड़ों को लेकर इन लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि निगम ने उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया है। निगम के ठेकेदार ने तो छंगाई के नाम पर कई बड़े पेड़ों को भी ठूठ में बदल दिया। 

11 हजार 900 वर्ग मीटर में लगेंगे पौधे

नगर निगम ने फरवरी 2023 में गुलाब बाग के पितृ स्मृति वन और बरकत कॉलोनी वाले गार्डन को मियावाकी तकनीक से सघन वृक्षारोपण के लिए टेंडर निकाला था। इसमें शहरी क्षेत्र वाले 11 हजार 900 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर घना जंगल बनाया जाना है। अहमदाबाद की ठेकेदार कंपनी एकाम्या को 1.42 करोड़ का वर्क ऑर्डर भी जारी हुआ। एक वर्ग मीटर में चार पौधे लगाए जाएंगे। इसमें एक पौधा बीच में लगेगा, जबकि तीन उसके चारों ओर होंगे।

साउथ अफ्रीका और भारत के घने जंगलों में पेड़ सीधे और ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं। इसी तरह यहां ऐसे पौधे लगाए जाएंगे, जिनमें बीच वाला पौधा अधिकतम ऊंचाई का होगा, जबकि किनारों वाले पौधे अलग-अलग ऊंचाई के होंगे। नगर निगम इस तरह का एक प्रयोग मोहता पार्क में भी कर चुका है, जहां पर चावल की घास को ट्रीटमेंट की हुई मिट्‌टी के ऊपर बिछाया गया। जमीन पर बिछाई हुई घास मिट्‌टी को नमी देती है तो खत्म होने के बाद उसी मिट्‌टी में मिल जाती है।

मियावाकी तकनीक से पौधे के लिए छोटे-छोटे जंगल बनवाए जा रहे हैं 

नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत, ने कहा की भारत सरकार की ओर से वायु प्रदूषण कम करने के लिए मियावाकी तकनीक से पौधे के लिए छोटे-छोटे जंगल बनवाए जा रहे हैं। अन्य कोई भी इस काम में सहयोग करना चाहता है तो आगे आएं। मुझे भी पौधे काटने की सूचना मिली थी, लेकिन जांच में पता चला कि वे पेड़ पहले से खराब हो चुके थे।