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उदयपुर की फिजाओं में घुलने लगा प्रदूषण

एयर क्वालिटी इंडेक्स 110 पहुंचा

 
उदयपुर प्रदेश के पांच सबसे प्रदूषित शहरों की श्रेणी में आ चुका है।

जहां उदयपुर को पूर्व के वेनिस शहर के नाम से जाना जाता है वही अब उदयपुर की फिजाओं में प्रदूषण घूलने लगा है। आपको बता दे कि जब कोरोना जैसे संक्रमण के फैलने से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया था जो की पर्यावरण के लिए अच्छा साबित हुआ था। पर्यावरण के लिहाज से देखा जाए तो हमें शांत वातावरण,पक्षियों की चहल पहल,पहाड़ो पर हरियाली भी नजर आती थी लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ वैसे ही ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण बढ़ता नजर आ रहा है। 

उदयपुर में  एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 110 पहुंच गया है। उदयपुर प्रदेश के पांच सबसे प्रदूषित शहरों की श्रेणी में आ चुका है। प्रदूषण के स्तर में तबदीली लाने के लिए यहां साईकिल को बढ़ावा देने की पहल हो चुकी है। उदयपुर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर में साईकिल ट्रेक बनाने की योजना पर कार्य शुरु किया जा चुका है। इसमें आईआईएम उदयपुर ने मिसाल पेश की है, जहां कैपस को हरा-भरा और प्रदूषण रहित रखने के लिए साईकिल को इस्तेमाल में लिया जाएगा। 

लगातार प्रदूषण बढ़ा तो एक्यूआई लेवल 300 होने पर शहर को रेड कैटेगिरी में शामिल कर लिया जाता है। प्रदूषण की कैटेगिरी को हम ऐसे माप सकते है यदि एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 तक रहने पर शहर ग्रीन केटेगिरी में जगह दी जाती है। 100 से 200 के बीच में यैलो, 200 से 300 के बीच ओरेंज और 300 से ज्यादा लेवल पहुंचने पर शहर को रेड कैटेगिरी में शामिल किया जाता है। 

जयपुर शहर की करे तो एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेवल 275 पहुंच गया है। जो कि जल्द ही 300 स्तर छूने के बाद रेड कैटेगिरी में शामिल हो जाएगा। प्रदूषण के स्तर में तबदीली लाने के लिए यहां साईकिल को बढ़ावा देने की पहल यहाँ भी हो चुकी है। 

उदयपुर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर में साईकिल ट्रेक बनाने की योजना पर कार्य शुरु किया जा चुका है। इसमें आईआईएम उदयपुर ने मिसाल पेश की है, जहां कैपस को हरा-भरा और प्रदूषण रहित रखने के लिए साईकिल को इस्तेमाल में लिया जाएगा। 

By Alfiya Khan