राजसमंद में गुरु-शिष्य के अनमोल बंधन ने रुलाया
शिक्षा के दो पहलू: चित्तौड़-भीलवाड़ा में शर्मसार हुए रिश्ते, वहीं राजसमंद में में भावुक विदाई
राजसमंद: एक तरफ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जैसे जिलों से शिक्षा को शर्मसार करने वाले पेपर लीक और नकल जैसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जो शिक्षा व्यवस्था की नींव हिला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजसमंद में गुरु-शिष्य के पवित्र और अनमोल रिश्ते की एक ऐसी मिसाल देखने को मिली, जिसने हर आंख को नम कर दिया। यह घटना दिखाती है कि कैसे कुछ शिक्षक आज भी अपने समर्पण और प्रेम से बच्चों के दिलों में अमिट छाप छोड़ते हैं।
सवाई टेलर की बदली पर फूट-फूटकर रोए बच्चे, 21 महीने में छोड़ी अमिट छाप
राजसमंद जिले के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय सेलागुडा, आमेट में कार्यरत अध्यापक सवाई टेलर की विदाई का दिन था, और यह दिन बच्चों के लिए गम और आंसुओं से भरा रहा। अपने चहेते 'मास्टर साहब' को जाते देख स्कूली बच्चों की आंखें आंसुओं से लबालब भर गईं।
दरअसल, सवाई टेलर का थर्ड ग्रेड से महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल (MGGS) में चयन हो गया है, जिसके कारण उनकी पोस्टिंग बालोतरा जिले के कडवासरों की ढाणी (तहसील गिड़ा) में हो गई है। इसी वजह से उन्हें सेलागुडा के स्कूल को अलविदा कहना था। लेकिन बच्चों की भावनाएं इतनी प्रबल थीं कि वे फूट-फूटकर रोए और अपने प्रिय शिक्षक को स्कूल से न जाने के लिए बार-बार आग्रह करने लगे। विदाई के अंतिम समय में बच्चों का यह रुदनभरा दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आँखों में आँसू आ गए।
प्राचार्य जगदीश नारायण मीणा ने बताया कि सवाई राम, जो मात्र 21 महीनों से इस मिडल क्लास स्कूल में कार्यरत थे, उन्होंने इतने कम समय में ही बच्चों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ दी। उन्होंने इस स्कूल के लिए अपना शत प्रतिशत दिया। प्राचार्य मीणा ने भावुक होते हुए कहा, "आपके कार्यकाल की सफलता का सच्चा आकलन बच्चों की करुणामयी आंखें बता रहीं हैं। बहुत ही कम समय में बच्चों के दिलों में इस कदर बसना वाकई काबिले तारीफ है, सल्यूट है आपको। किसी भी शिक्षक के लिए इससे बड़ा कोई प्रमाण पत्र नहीं हो सकता है जो बच्चों की रूदनभरी आंखें दे रही हैं।" प्राचार्य मीणा ने अपने सभी शिक्षक साथियों से सवाई सिंह से प्रेरणा लेकर विद्यार्थियों को पूरी मेहनत, लगन, एवं समर्पण भाव से पढ़ाने हेतु आग्रह किया।
सवाई राम जी की भावुक भरी लाइनें: "सेलागुडा की वो आखिरी घंटी"
सवाई राम ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कुछ हृदयस्पर्शी लाइनें साझा कीं:
"छूट गया है अब सेलागुडा का आँगन....
जहाँ हर कोने में था मेरा अपनापन....
वो क्लास की खामोश दीवारें जानती हैं कैसे बच्चों की हर बात में जान बसी थी मेरी...
वो नन्हें हाथ जब मेरी उंगली थामते थे, हर 'गुड मॉर्निंग' में जैसे सूरज मुस्कुराता था...
अब वो ही मुस्कानें रह गई पीछे कहीं और मैं चल पड़ा... एक नईं 'राह' पर....
वहीं आँखों में आँसू थे जब अलविदा कहा, बच्चों ने बस इतना ही पूछा - 'गुरुजी! आप वापस आओगे ना?' और मेरा दिल जैसे टुकड़ों में बंट गया..."
यह विदाई समारोह शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक-छात्र संबंधों की गहराई और एक समर्पित शिक्षक के प्रभाव को दर्शाता है, जो बच्चों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगा और शिक्षा के सच्चे मायने को परिभाषित करता है। यह उन सभी नकारात्मक खबरों के बीच एक सकारात्मक संदेश है जो आज शिक्षा जगत से सामने आ रही हैं।