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शिक्षकों पर लगातार थोपे जा रहे गैर शैक्षणिक कार्यों के विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन का ऐलान

शिक्षकों को शिक्षक रहने दो, बच्चों को पढ़ाने दो , बीएलओ सहित सभी प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाये

 

उदयपुर 19 जुलाई 2023। शिक्षकों को उनके मूल कार्य छात्रों को पढ़ाने के कक्षा शिक्षण से दूर कर मनमाने ढंग से गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने के विरोध में राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ ने राज्यव्यापी आंदोलन ऐलान किया गया है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष शेरसिंह चौहान एवं प्रांतीय महामंत्री राजेश शर्मा ने बताया कि आंदोलन के प्रथम चरण में 27 जुलाई को प्रदेश के सभी उपखंड मुख्यालयों पर तथा 3 अगस्त को सभी जिला मुख्यालयों धरना प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन देकर नि:शुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 की पालना सुनिश्चित कर शिक्षको को बीएलओ, मिड डे मील  दूध वितरण व सरकारी ऑफिसों में लिपिकीय कार्य में लगाने जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कराने की मांग की जायेगी।

संघ के प्रदेश महामंत्री राजेश शर्मा ने बताया कि मुख्य सचिव को प्रेषित चरणबद्ध आंदोलन के नोटिस में लिखा है कि सरकार की ओर से समय-समय पर जारी आदेशों के तहत 10 वर्षीय जनगणना, निर्वाचन तथा आपदा प्रबंधन के कार्यों के अतिरिक्त शिक्षकों को किसी भी गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाने के आदेश जारी किए हुए हैं। लेकिन उच्चतम न्यायालय तथा राज्य सरकार के ऐसे सभी जारी आदेशों को दरकिनार कर वर्तमान में शिक्षकों को उनके मूल कार्य से विमुख करअनेक प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाकर बहुउद्देशीय कर्मचारी बना दिया गया है। हालत यह हैं कि राज्य भर में जिला एवं उपखंड स्तर पर विभिन्न आला अधिकारियों की ओर से शिक्षकों को आए दिन गैर शैक्षणिक कार्यों में लगातार लगाने से स्कूलों में विद्यार्थियों का शिक्षण कार्य और परीक्षा परिणाम प्रभावित हो रहा है। 

संघ की ओर से समय-समय पर विभिन्न ज्ञापन धरना प्रदर्शन के माध्यम से शिक्षकों से  लिए जा रहे गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का आग्रह किया जाता रहा है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। 

प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान के मुताबिक राज्य के विभिन्न उपखंड अधिकारियों के द्वारा निर्वाचन विभाग की ओर से जारी दिशानिर्देशों को दरकिनार कर अन्य विभाग के कर्मचारियों की बजाय अधिकतर शिक्षकों को ही मनमाने तरीक़े से बीएलओ लगाया जाता है और उन्हें तरह-तरह के नोटिस एवं धमकी देकर प्रताड़ित भी किया जाता है। यही नहीं स्कूलों में भी शिक्षकों पर मिड डे मील, दूध वितरण, साक्षरता, ई ग्राम प्रभारी, आए दिन विभिन्न प्रकार की सरकारी डांक सूचनाओं के आदान-प्रदान के आंकड़ों में उलझा कर शिक्षण कार्य से दूर किया जा रहा है, जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष है।

आला अधिकारियों की ओर से सरकारी कार्यालयों में शिक्षकों को लिपिकीय कार्य में लगाने पर भी लगे प्रभावी रोक

संघ के प्रदेश महामंत्री राजेश शर्मा ने कहा कि निर्वाचन विभाग की ओर से विभिन्न विभागों के एक दर्जन कर्मचारियों को बीएलओ लगाने के लिखित आदेश हैं। लेकिन पूरे राज्य में अधिकतर शिक्षकों को ही बीएलओ लगाया जा रहा है। यही नहीं स्कूलों में प्रवेश उत्सव नामांकन वृद्धि अभियान के दौरान भी विभिन्न जिलों में शिक्षकों को जिला कलेक्टर ,उपखंड़ अधिकारी , तहसीलदार, विकास अधिकारी तथा विभिन्न शिक्षा अधिकारी मनमाने तरीके से अपने अपने कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर लगा लेते है। संघ ने राज्य के सभी कार्यालयों में लिपिकीय कार्य हेतु लगाए गए ऐसे सभी शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों के लिए कार्य मुक्त करवाये जाने  की भी मांग रखी है।

संघ ने सरकार के समक्ष ये रखी प्रमुख मांगे

संघ के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामप्रताप मीणा व संघर्ष समिति के संयोजक शंभूसिंह मेड़तिया ने बताया कि सीएस को भेजे ज्ञापन में लिखा है कि शिक्षक वर्ग को शिक्षक ही रहने दिया जाए और उनको मूल कार्य बच्चों के पढ़ाने से विमुख नहीं कर अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 की पालना सुनिश्चित कर वर्षभर चलने वाला गैर शैक्षिक कार्य बीएलओ सहित सभी प्रकार के लिए जा रहे गैर शैक्षणिक कार्यों से पूरी तरह  मुक्त कराए जाने तथा प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के संस्था प्रधान ,पोषाहार प्रभारी, एकल अध्यापक, ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी व नगरपालिका क्षेत्रों पर लगाए गये बीएलओ, एक ग्राम पंचायत में दूरस्थ दूसरी ग्राम पंचायतों के शिक्षकों को बीएलओ के रूप में लगाया गया है, ऐसे सभी कार्मिकों को बीएलओ के दायित्व से मुक्त कराने का आग्रह किया है।