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Rajsamand:SRK कॉलेज में पुनः शुरू होगी Maths,Physics की पढ़ाई

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News-सांसद के प्रयास लाए रंग, एसआरके महाविद्यालय में पुनः शुरू होगी गणित एवं भौतिकशास्त्र विषयों की पढ़ाई

राजसमन्द, 22 जुलाई। राजसमन्द सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ के सतत प्रयासों एवं प्रभावी अनुशंसा के फलस्वरूप सेठ रंगलाल कोठारी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजसमन्द में स्नातक स्तर पर गणित एवं भौतिकशास्त्र विषयों को पुनः प्रारंभ करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है।

सांसद द्वारा इस संदर्भ में उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा को पत्र लिखकर भौतिकशास्त्र और गणित विषयों को पुनः प्रारम्भ करने एवं सम्बंधित विषयों की कक्षाओं को शीघ्र आरंभ करने का विशेष अनुरोध किया गया था। इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए उपमुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने उक्त विषयों की पुनः शुरुआत हेतु अनुमति प्रदान की।

सांसद महिमा मेवाड़ ने उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनके द्वारा त्वरित निर्णय लिए जाने पर सम्पूर्ण राजसमन्द क्षेत्र एवं अपनी ओर से आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय जिले के सैकड़ों विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।

वहीं, कॉलेज शिक्षा विभाग, राजस्थान के अतिरिक्त आयुक्त श्री सुनील भाटी द्वारा आदेश जारी कर सेठ रंगलाल कोठारी राजकीय महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय के अंतर्गत गणित एवं भौतिकशास्त्र विषय (मैथ्स ग्रुप–01 वर्ग) को पुनः प्रारम्भ करने की विधिवत अनुमति प्रदान की गई है।

यह उपलब्धि क्षेत्र के विद्यार्थियों को उनके गृह जिले में ही गुणवत्तापूर्ण विज्ञान शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगी, साथ ही महाविद्यालय की शैक्षणिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि करेगी। सांसद के इस प्रयास की स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा सराहना की जा रही है।

News-कलक्टर अरुण कुमार हसीजा की अध्यक्षता में विभिन्न समितियों की बैठक आयोजित

राजसमंद, 22 जुलाई। जिला कलेक्ट्रेट सभागार में मंगलवार को जिला कलक्टर अरुण कुमार हसीजा की अध्यक्षता में कृषि एवं उद्यानिकी की विभिन्न योजनाओं के प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण एवं समयबद्ध क्रियान्वयन हेतु जिला स्तरीय समितियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिला स्तरीय कृषि समिति, जिला उद्यानिकी विकास समिति, आत्मा शाषी परिषद, जिला स्तरीय निगरानी समिति (फसल बीमा), उर्वरक नियंत्रण समिति, तिलहन मिशन एवं तिलहन क्रियान्वयन समिति के अंतर्गत प्रगति और योजनाओं की समीक्षा की गई।

बैठक में जिले में कृषि विभाग के स्वीकृत एवं रिक्त पदों की स्थिति, सिंचाई पाइपलाइन योजना की प्रगति, खरीफ मिनिकिट वितरण (2025-26), अनुदानित कृषि यंत्र योजना, फार्म पॉण्ड, तारबंदी योजना की प्रगति सहित विभिन्न योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की गई। कृषि संकाय में अध्ययनरत छात्राओं को दी जा रही प्रोत्साहन राशि, गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन, नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल सीड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले में की जा रही कार्रवाई पर भी चर्चा हुई।

इसी क्रम में जिला उद्यानिकी विकास समिति की बैठक में जिले के उद्यानिकी परिदृश्य की प्रस्तुति दी गई। उद्यान विभाग में स्वीकृत पदों की जानकारी, ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीडीएमसी) योजना, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन, फल एवं सब्जियों की मूल्य श्रृंखला विकास, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग से स्वीकृत गतिविधियाँ तथा ‘पंच गौरव’ के तहत ‘एक जिला एक उपज’ योजना में सीताफल उत्पादन को लेकर प्रस्तावित गतिविधियों की समीक्षा की गई।     आत्मायोजनांतर्गत कैफेटेरिया वाइस इस वर्ष की प्रगति की समीक्षा की गई। अध्यक्ष महोदय द्वारा माह दिसंबर तक सभी कैफेटेरिया में कैलेंडर निर्धारित कर प्रगति अर्जित करने हेतु निर्देशित किया गया।

कलक्टर ने इस दौरान सभागार में किसानों से संवाद भी किया और उनकी समस्याओं को सुना। कलक्टर ने कहा कि अधिकारी रात्रि चौपाल में भी किसानों के हितों से जुड़ी योजनाओं का प्रचार प्रसार करें ताकि आमजन समुचित ढंग से लाभान्वित हो सकें।

इस दौरान संयुक्त निदेशक बी एस राठौड़, उप निदेशक (उद्यानिकी) कल्प वर्मा, उप निदेशक संतोष दूरिया, एलडीएम प्रेम शंकर जीनगर, कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी पी सी रैगर, डीपीएम राजीविका डॉ सुमन अजमेरा, कृषि विभाग के सहायक निदेशक ,कृषि अधिकारी,अन्य संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी रिलायंस जनरल इंशोरेंस कम्पनी के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।

News-हरित राजस्थान की ओर बढ़ते कदम

राजसमंद, 22 जुलाई। राजस्थान, जिसे लंबे समय तक एक शुष्क, जल-संकटग्रस्त और रेगिस्तानी राज्य के रूप में जाना जाता रहा है, अब एक नई पहचान की ओर बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने पर्यावरणीय चेतना को केवल नीतिगत दस्तावेजों तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि उसे जन-आंदोलन का रूप देते हुए सतत विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। हरियाली, जल संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा और नवाचार जैसे मुद्दे अब राजस्थान सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर हैं।

राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए ‘ग्रीन बजट’ के रूप में एक ऐतिहासिक शुरुआत की है, जिसमें कुल बजट व्यय का 11.34 प्रतिशत यानी ₹27,854 करोड़ ग्रीन ग्रोथ से जुड़ी परियोजनाओं हेतु निर्धारित किया गया है। इस पहल का उद्देश्य 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति है। इसके लिए जलवायु अनुकूलन की पांच वर्षीय योजना तैयार की जा रही है और ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर क्लाइमेट चेंज’ की स्थापना का निर्णय भी लिया गया है, जो शोध और नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

‘हरियालो राजस्थान’ महाअभियान राज्य की एक और अभिनव पहल है, जो वृक्षारोपण को एक भावनात्मक और जनसामान्य से जुड़ा आंदोलन बना रहा है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ की भावना से प्रेरित इस अभियान के अंतर्गत अब तक 7 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और वर्तमान वर्ष में 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। ‘मातृ वन’ और ‘स्मृति वन’ जैसी संकल्पनाएं इस अभियान को व्यक्तिगत स्मृतियों और पर्यावरणीय कर्तव्यों से जोड़ती हैं। इस अभियान की निगरानी और सहभागिता को डिजिटल रूप में ट्रैक करने के लिए ‘हरियालो राजस्थान’ मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी राज्य ने प्रभावशाली प्रगति की है। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के कार्यकाल में 1190 मेगावाट की क्षमता वाले 592 सौर संयंत्र स्थापित किए गए हैं। ये संयंत्र कुसुम योजना के तहत किसानों द्वारा या डेवलपर के सहयोग से स्थापित किए गए हैं, जिससे अब किसान न केवल अन्नदाता बल्कि ऊर्जादाता भी बन रहे हैं। यह बिजली थर्मल बिजली की तुलना में अधिक सस्ती और स्वच्छ है, जिससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि राज्य ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी अग्रसर है।

जल संरक्षण के क्षेत्र में ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान एक नवाचार के रूप में सामने आया है। यह पहल प्रवासी राजस्थानियों को उनके गांवों से जोड़ रही है, जहां वे रिचार्ज शाफ्ट और जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण में आर्थिक और तकनीकी योगदान दे रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य चार वर्षों में 45 हजार जल संरचनाएं बनाना है, जिनमें से हजारों पर कार्य प्रारंभ हो चुका है। यह पहल राजस्थान की परंपरागत जल संस्कृति को पुनर्जीवित कर रही है और गिरते भूजल स्तर को सुधारने में सहायक बन रही है।

जनभागीदारी आधारित एक और उल्लेखनीय पहल ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ रही, जिसे 5 जून से 20 जून तक राज्यव्यापी स्तर पर आयोजित किया गया। इस अभियान के तहत मुख्यमंत्री स्वयं भी श्रमदान और जल स्रोतों की सफाई में भागीदार बने। राज्यभर में 3 लाख 70 हजार से अधिक कार्यक्रमों में 2.53 करोड़ लोगों ने भाग लिया। लगभग 42 हजार जल स्रोतों की सफाई और मरम्मत की गई, साथ ही हजारों नए जल संरक्षण कार्य भी प्रारंभ किए गए। इस अभियान ने जल संस्कृति को सामाजिक चेतना का हिस्सा बना दिया है।

पर्यावरणीय सुधार की दिशा में राज्य सरकार तकनीकी नवाचारों को भी प्राथमिकता दे रही है। स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए एक लाख ग्रामीण परिवारों को निशुल्क इंडक्शन कुकटॉप वितरित करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही ग्राम पंचायतों में ‘बर्तन बैंक’ की स्थापना से प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, वेस्ट टू वेल्थ पार्क्स और ‘क्लीन एंड ग्रीन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर’ जैसी पहलें राज्य के पर्यावरणीय मॉडल को तकनीकी मजबूती प्रदान कर रही हैं।