घरों में ही रहकर इफ्तार और इबादत के साथ रमज़ान का आगाज़
उदयपुर 24 अप्रैल 2020। पवित्र माह रमजान का महीना दाऊदी बोहरा समुदाय के कैलेंडर के अनुसार कल 23 अप्रैल 2020 को शुरू हो गया। जबकि मुस्लिम समुदाय कल से रमज़ान का आगाज़ करेगा। इस माह में समाजजन पूरे महीने के रोज़े रख कर सभी पांचो वक्त की नमाज़ मस्जिदों में अदा करते है। इस माह में मस्जिदों में नमाज़ियों की चहल पहल और इफ्तारी के समय मुस्लिम मोहल्लो की रौनक पूरे परवान पर होती है। लेकिन इस वर्ष यह रौनक मस्जिद और मोहल्ले से निकल कर घरो में ही सिमट गई।
इस वर्ष वैश्विक महामारी का रूप धर चुके कोरोना वायरस (Covid-19) के चलते लॉकडाउन की स्थिति और सम्पूर्ण जिले में धारा 144 के चलते दाऊदी बोहरा जमाअत (बोहरा यूथ से संबधित) ने नमाज़ियों के लिए विशेष आदेश जारी कर घरो में ही रहकर सोशल डिस्टैन्सिंग मेंटेन रखते हुए रोज़ा इफ्तारी और इबादत करने की अपील के चलते पहला रोज़े की इफ्तारी और इबादत घरो में ही रहकर अदा किया।
दाऊदी बोहरा जमाअत के सचिव ज़ाकिर पंसारी ने सभी मस्जिद कमेटी को आदेश दिया था की दाऊदी बोहरा जमात की सभी मस्जिदों में रमज़ान माह में सभी मस्जिदों में सामूहिक नमाज़ की इजाज़त नहीं दी गई है । केवल एक व्यक्ति को ही नमाज़/अज़ान की अनुमति प्रदान की गई है। इस बाबत सभी मस्जिदों रसूलपुरा, वजीहपुरा, मोहियदपुरा, चमनपुरा,खानपुरा, खांजीपीर, खारोल कॉलोनी और पुला कॉलोनी की मस्जिद कमेटियों को पत्र जारी कर पाबंद कर दिया गया है।
दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता मंसूर अली ओड़ा वाला ने बताया की लॉक डाउन की पालना और धारा 144 के तहत पांच व्यक्तियो के एक साथ इकट्ठा न होने के आदेश एवं कोरोना से लड़ने में प्रशासन के साथ सम्पूर्ण सहयोग के लिए समाज की प्रतिबद्धता के चलते उक्त निर्णय लिया गया है।
वहीँ दाऊदी बोहरा जमात के अध्यक्ष फैय्याज हुसैन इटारसी ने समाज के लोगो से रमज़ान माह के दौरान घरो में ही रहकर इबादत करने, सोशल डिस्टैन्सिंग को मेन्टेन करने, लॉक डाउन के आदेशों की पालना करने की अपील की है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमैन कमांडर मंसूर अली बोहरा ने बताया की जिस प्रकार रमज़ान में प्रत्येक मुस्लिमो के लिए रोज़े, नमाज़, ज़कात, सदक़ा, रोज़ा इफ्तारी फ़र्ज़ (ज़रूरी कार्य) है, उसी प्रकार आज के हालात में सभी फ़र्ज़ और इबादत घर से ही अंजाम देते हुए एवं सोशल डिस्टैन्सिंग पर पाबन्द रहना भी एक ज़िम्मेदार शहरी के फ़र्ज़ में शामिल है। इस्लाम की शिक्षा के मुताबिक फैमिली का मुखिया भी इमामत कर सकता है। ऐसी हालात में अदा की गई नमाज़ भी 'इमामत की नमाज़' मानी जाती है।
उल्लेखनीय है की सुन्नी मुसलमानो और सऊदी अरब के मुफ़्ती-ए-आज़म और शिया मुसलमानो के मुख्य धार्मिक नेताओ और दाऊदी बोहरा धर्मगुरुओ ने भी घर में ही रहकर इबादत करने की अपील की है। यहाँ तक की मुस्लिमो के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों मक्का के खाना-ए-क़ाबा , मदीना की मस्जिदे नबवी और मस्जिदे अक्सा में भी हर वर्ष की तरह रमज़ान में होने वाली इबादत नहीं होगी। वहां भी घर में ही रहकर नमाज़ पढ़ने का हुक्म दिया गया है।