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दुर्लभ प्रजाति का रेड कैप्ड शाहीन फाल्कन आया नजर

रूंडेड़ा गांव के तालाब पर दुनिया के सबसे तेज उड़ने वाले पक्षी पेरेग्राइन फाल्कन  की उपप्रजाति रेड कैप्ड शाहीन फाल्कन को देखा गया

 

दक्षिणी राजस्थान में पहली बार रेड कैप्ड शाहीन फाल्कन ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। उदयपुर के समीप रूंडेड़ा गांव के तालाब पर दुनिया के सबसे तेज उड़ने वाले पक्षी पेरेग्राइन फाल्कन  की उपप्रजाति रेड कैप्ड शाहीन फाल्कन को देखा गया। 

उदयपुर के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीपाल सिंह कालरा, रोहित द्विवेदी, शरद अग्रवाल, एवं राजकुमार मेनारिया ने इस शाहीन फाल्कन प्रजाति के शिकारी पक्षी को देखा व तस्वीरे ली। इससे पहले राजस्थान में इस पक्षी को सिर्फ पाकिस्तान बॉर्डर के समीप जैसलमेर, बाड़मेड़ ज़िले एवं जयपुर संभाग में दर्ज किया गया हैं।

बारबरी शाहीन, रेड नेप्ड शाहीन, अरेबियन शाहीन के नाम से भी जाने जाना वाले इस पक्षी का सर थोड़ा हल्की लाली लिए होता हैं, यह आकर में 13-15 इंच लंबाई एवम पंखों से 30-38 इंच के फैलाव वाला पक्षी हैं। छोटे से बड़े होने के उम्र काल में इस पक्षी के पंख और पीठ भूरे से आसमानी सलेटी रंग के हो जाते हैं। 300 की मि प्रति घंटे की रफ्तार से आसमान से जमीन पर झप्पटा मार कर शिकार करने वाला यह पक्षी दुनिया के सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी आसमान का सरताज हैं। आसमान में उड़ता पंछी हो या जमीन पर, इस शिकारी पक्षी की तेज गति, मजबूत पंजे और तेज नजरें इसे एक माहिर शिकारी बनाते हैं। 

वैसे तो इस शिकारी पक्षी की नजदीकी प्रजाति ब्लैक शाहीन भारत में कई राज्यों में नजर आती हैं, परंतु रेड केप्ड शाहीन आमतोर पर ठंडे सूखे स्थानो जैसे मंगोलिया, पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व के देश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान जैसे देशों से भारत के रेगिस्तानी इलाकों में शीतकालीन प्रवास करता हैं।

एक्सपर्ट व्यू - शरद अग्रवाल, पक्षिविद

बारबरी बाज या रेड कैप्ड शाहीन चट्टानों के किनारे बने घोंसलों में अंडे देता हैं। एक समय पर लुप्त प्राय माने जाने वाले इस पंछी की संख्या अब बढ़ने लगी हैं। 1988 में जहा मात्र सात जोड़े प्रजनन करते पाए गए थे वही 2006 तक इनकी संख्या में लगभग दस गुना वृद्धि हो चुकी थी। आपने मूल निवास में अधिक ठंड पढ़ने पर यह शिकारी पक्षी भारत में शीतकालीन प्रवास करता हैं। अमूमन रेगिस्तानी एवम रण क्षेत्रों में प्रवास करने वाले इस शिकारी पक्षी की उदयपुर संभाग में उपस्थिति आश्चर्य जनक व दुर्लभ हैं।