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किराए पर दी गई दुकानें हो चुकी हैं सबलेट

मूल लाइसेंसी मौके पर नहीं, फिर भी निलंबन कार्यवाही से परहेज़ 

 
, शहर में नगर निगम के 93 कियोस्क व 70 दुकाने

उदयपुर, 30 अक्टूबर । प्रदेश में स्थित स्थानीय नगरीय निकायाें की लीज पर दी जाने वाली किराए की दुकानाें काे लेकर काेई निर्णय नहीं ले सकी है। नगर निगम की ओर से बरसों पहले किराए पर दी गई दुकानें व कियोस्क के हालात ऐसे हैं कि बीते कुछ सालाें से ताे इन लीज की दुकानाें से किराया तक नहीं वसूला जा रहा है।

धरातल पर देखें कई दुकानें दूसरे के पास सबलेट हाे चुकी हैं। स्थानीय निकायाें ने जिन व्यापारियाें काे दुकानें लीज पर दी थी वह ताे कभी के बेच कर चले गए। लेकिन रिकाॅर्ड में किरायानामा उन्हीं के नाम चल रहा है। यदि प्रदेश सरकार इन दुकानाें काे लेकर काेई आदेश जारी करे ताे निकायों को खासी आय हाे सकती है। 

दूसरों के पास सबलेट होने के बावजूद नगर निगम न तो उन्हें वापस ले पाया न ही उनका कोई किराया बढ़ा पा रहा है। किराएदार निगम की प्रोपर्टी को किराए पर देकर 10-30 हजार रुपए कमा रहा है और निगम के खाते में सिर्फ 300 से 500 रुपए ही जमा हो रहे हैं। निगम ने ऐसे किराएदारों की सूची बनाई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर आज तक कुछ नहीं कर पाया। पूर्व में नई उपविधि बनाकर मौके की दुकानों को वर्तमान जमीन की वेल्यू के हिसाब से किराए बढ़ाने का प्लान भी बना, लेकिन यह फाइल भी दफ्तर दाखिल हो गई।

नगर निगम की अभी शहर के दूधतलाई, सुखाडिया सर्कल, टाउनहॉल, सहेलियों की बाड़ी, चेतक, सूरजपोल, जगदीश चौक, हाथीपोल सहित कई मौके की जगह पर 93 कियोस्क व करीब 70 दुकानें है। यह कियोस्क व दुकानें महज 200 से लेकर 2500 रुपए प्रतिमाह किराए पर चल रही है। बरसों से काबिज़ किराएदारों ने नियमों का उल्लंघन कर उनका हुलिया ही बदल दिया। इनमे तोड़फोड़ व नए निर्माण के साथ ही दूसरों को किराए पर चढ़ा रखा है। 

मूल किराएदार ही नहीं मिले 

निगम की टीमों ने अपनी सम्पत्तियों के तहत दुकानों का सर्वे किया तो अधिकांश जगह पर मूल किराएदार ही नहीं मिले। टीम ने जांच की तो पता चला कि मूल किराए के बाद कई सम्पत्ति सबलेट होकर आगे से आगे तीन से चार नए किराएदारों के पास चली गई। निगम का उनसे कोई लेना देना ही नहीं था। कुछ तो ऐसे भी थे, जो निगम में अनुज्ञा शुल्क जमा करवा रहे थे, लेकिन खुद ने वहां दुकानों पर महंगी रेट पर दूसरों को दुकानें किराए पर दे रखी थी।

राजस्व समिति अध्यक्ष, अरविंद जारोली का कहना है की राजस्व समिति की बैठक में निगम की सम्पत्तियों से राजस्व बढ़ाने का निर्णय लिया था। किराए की सम्पत्तियों पर भी किराए बढ़ाने को लेकर मंथन चल रहा है।