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सलूंबर जिले को यथावत रखा जाए, आसपुर व साबला उपखंड भी इस में शामिल करें

नए जिलों के पुनर्गठन की प्रक्रिया के बीच सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने मुख्य मंत्री को लिखा पत्र
 

उदयपुर। राज्य सरकार द्वारा राज्य में गठित नवीन जिलों के सम्बन्ध में पुनर्गठन पर विचार किए जाने की चर्चाओं के बीच सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख सलूंबर जिले को यथावत रखने की मांग की है। साथ ही सांसद ने अपने पत्र में आमजन की सुविधार्थ क्षेत्रवासियों की मांग के अनुरूप आसपुर - साबला जैसे कुछ अन्य उपखंड भी सलूंबर जिले में समायोजित करने को कहा है। 

सांसद ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि नए जिलों के पुनर्गठन पर विचार किया जा रहा है। ऐसी चर्चाओं से सलूंबर जिले की जनता में असमंजस और चिंता उत्पन्न हो रही है। यदि सलूंबर जिले के पुनर्गठन पर विचार किया जाता है तो यहां की सांस्कृतिक एकता और सामाजिक ढांचे के साथ ही प्रशासनिक सुगमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अतः सलूंबर जिले को यथावत रखा जाए। 

आमजन की सुविधा के लिए आसपास के कुछ अन्य क्षेत्र भी सलूंबर जिले में जोड़ें जाए, जिससे क्षेत्र के समेकित विकास एवं सामाजिक समृद्धि की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की राह सुगम हो सके। सलूंबर जिला घोषित होने के बाद क्षेत्र में शासकीय कार्य निस्तारण में गति देखने को मिली है, जो क्षेत्रवासियों के साथ ही शासन के लिए भी हितकारी है।

सलूंबर जिला बनने से आमजन को राहत मिली

सांसद डॉ रावत ने अपने पत्र के माध्यम से सलूंबर जिले को यथावत रखने की पैरवी करते हुए इसके पक्ष में कुछ तार्किक बिंदु भी रखे हैं। डॉ रावत ने कहा कि सलूंबर जिला एक जनजाति क्षेत्र है। यहां 70 प्रतिशत से अधिक जनजाति निवास करती है। यह जनजाति क्षेत्र आर्थिक एवं शिक्षा की दृष्टि से भी तुलनात्मक रूप से पिछड़ा हुआ है। यह क्षेत्र अति दुर्गम है। क्षेत्र की समस्याओं के लिए पूर्व में क्षेत्रवासियों को लगभग 90 किलोमीटर दूर उदयपुर जिला मुख्यालय जाना पड़ता था। सलूम्बर जिला बनने से क्षेत्र में लोगों को प्रशासनिक सुविधाएं अपने निकट ही प्राप्त होने लगी है।

महत्वपूर्ण केंद्र है सलूंबर

सांसद डॉ रावत ने कहा कि सलूंबर जिला वर्तमान में स्थानीय इतिहास, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस क्षेत्र एवं आसपास के लोग अपनी आवश्यकताओं और समृद्धि के लिए लम्बे समय से सलूंबर पर निर्भर है।