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घर बनाना होगा आसान, राजस्थान में बजरी खनन को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी 

वैध खनन पर रोक लगने से अवैध खनन खूब बढ़ा

 

सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को लगा थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बजरी खनन के मामले में हरी झंडी दिखा कर आम आदमी को राहत दी है। ऐसे में चार साल बाद अब जनता को सीधे तौर पर सस्ते दर पर बजरी मिल सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिश मानने के बाद वैध बजरी खनन की अनुमति दे दी है। जिसके बाद अब राज्य सरकार प्रदेश में लीगल माइनिंग शुरु करवा सकेगी। इससे आम जनता को फायदा होगी। आम जनता को अब सस्ते दर पर बजरी मिल सकेगी। गौरतलब है कि करीब 3 साल से सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी अवैध खनन किया जा रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अवैध खनन माफिया को बड़ा झटका लगा है। 

सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को लगा थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को राज्य में बजरी खनन पर रोक लगा दी थी, इसके बाद  राज्य सरकार ने 31 मार्च 2018 को बजरी खनन के सभी एलओआई निर्धारित 5 साल की अवधि पूरी होने पर खत्म कर दिए लेकिन एलओआई धारकों ने यह कहते हुए आपत्ति कर दी कि जब खनन को लेकर लीज एग्रीमेंट ही नहीं हुआ तो अवधि कैसे खत्म हो सकती है। एलओआई खत्म करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी स्टे दिया था।

सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी 2020 को सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी को 6 सप्ताह में अध्ययन कर सुझाव देने के निर्देश दिए लेकिन कोरोना की वजह से कमेटी रिपोर्ट नहीं दे सकी। कोर्ट ने कमेटी को 30 सितंबर 2020 तक यह रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कोविड के चलते कमेटी ने अपनी सिफारिशों को हाल ही में कोर्ट को सौपा था। कमेटी की सिफारिशें प्राप्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।