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बच्चों को बासी बूंदी खिलाने के मामले में स्कूल प्रबंधन ने लापरवाही का ठीकरा रसोइये के सिर मढ़ा

इधर, कलेक्टर ताराचंद मीणा द्वारा भी इस मामले में आरएएस अफसर स्तर के अधिकारी से जांच कराई जा रही है

 

उदयपुर 7 फरवरी 2023। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जिंक स्मेल्टर में बच्चों को बासी बूंदी खिलाने के मामले में स्कूल प्रबंधन ने लापरवाही का ठीकरा रसोइये के सिर मढ़ दिया। 

मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी दुर्गेश मेनारिया को दिए नोटिस के जबाव में ​स्कूल प्रिंसिपल जसवंत राय ने लिखा कि मैं घटना के दिन 31 जनवरी को डाइट में था। मुझे फोन से इसकी सूचना मिली। वहीं, स्कूल में घटना के वक्त मौजूद कार्यवाहक प्रिंसिपल रेशमा ​तेजियोत ने अपने जबाव में लिखा है कि मुझे जहां तक जानकारी थी कि 26 जनवरी को पूरी बूंदी बंट चुकी थी लेकिन बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद पता लगा कि थोड़ी बूंदी बची हुई थी। जो कुक हेल्पर ने बिना बताए बच्चों को बांट दी।

इधर, कलेक्टर ताराचंद मीणा द्वारा भी इस मामले में आरएएस अफसर स्तर के अधिकारी से जांच कराई जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग की डिप्टी डायरेक्टर कीर्ति राठौड़ मामले की जांच कर रही है जो जल्द ही कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपेगी।

बड़ा सवाल, अगर बूंदी बची तो प्रिंसिपल ने नष्ट क्यों नहीं करवाई

पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन अपनी गलती छिपाने के पूरे प्रयास में जुटा है। हालांकि मामले में सवाल ये उठ रहा है कि जब 26 जनवरी को आई बूंदी 31 जनवरी तक स्कूल में कैसे बची रही ? पॉलिथीन पैकेट में होने से बूंदी खराब हो गई। इस बारे में प्रिंसिपल से लेकर बाकी स्टाफ को पता था तो समय रहते बासी बूंदी को नष्ट क्यों नहीं करवाया गया ? अब जब बच्चे बासी बूंदी खाने से बीमार पड़े तो मामले में कुक हेल्पर की लापरवाही बताई जा रही है।

32 बच्चे हुए थे बीमार, 4 को करना पड़ा था भर्ती

31 जनवरी को स्कूल में 6 दिन पुरानी बूंदी खाने से 32 बच्चे बीमार हो गए थे। उन्हें उल्टी दस्त व जी मिचलाने की शिकायत पर एमबी हॉस्पिटल भर्ती कराया गया था। जहां से 28 बच्चों को सामान्य उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी। बाकी 4 बच्चों की हालत गंभीर होने पर उन्हें पीआईसीयू में भर्ती कराया था। घटना लंच टाइम के बाद छठे पीरियड में हुई जब पोषाहार बनाने वाली कुक कम हेल्पर ने पहली से 8वीं के बच्चों को बासी बूंदी बांट दी। यह बूंदी गणतंत्र दिवस समारोह में वितरण के लिए पंचायत और एक कंपनी की तरफ से सीएसआर के तहत मिली थी।