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जयपुर एलपीजी टैंकर ब्लास्ट: शाहिद की बर्बाद हुई खुशियाँ

अब तक 14 की मौत 

 

उदयपुर 24 दिसंबर 2024। जयपुर में हुए एक भयावह एलपीजी टैंकर ब्लास्ट ने कई परिवारों की जिंदगी को चूर-चूर कर दिया। इस हादसे में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें उदयपुर के लेक सिटी ट्रेवल्स के बस चालक मोहम्मद शाहिद मेव भी शामिल हैं। यह हादसा उनके परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति बन गया है, क्योंकि शाहिद अपनी नवजात बेटी के जन्म पर परिवार के लिए एक विशेष आयोजन की योजना बना रहे थे। इस दुखद घटना ने उनकी सारी योजनाओं पर विराम लगा दिया।

2 साल पहले हुई शादी, अब दोनों मासूम बेटियां हुईं अनाथ

उदयपुर के किशनपोल इलाके के निवासी मोहम्मद शाहिद की शादी महज दो साल पहले हुई थी। उनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी डेढ़ साल की और छोटी बेटी महज 25 दिन की। शाहिद के निधन के बाद उनके परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी मां अपने बेटे की मौत के सदमे से जूझ रही हैं, वहीं शाहिद की पत्नी सिमरन का रो-रोकर बुरा हाल है। शाहिद की बहन नफीसा ने बताया कि उनके पिता का भी तीन महीने पहले निधन हो चुका था, जिससे परिवार पहले ही दुखी था, और अब यह नया आघात परिवार पर आ पड़ा है।

बेटी के जन्म पर खुशियाँ, अब सब खत्म

शाहिद की पत्नी सिमरन ने बताया कि शाहिद अपनी बेटी के जन्म पर बेहद खुश थे। उन्होंने मोहल्ले में मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया था। शाहिद ने अपनी बेटी के एक महीने पूरे होने पर परिवार और दोस्तों के लिए विशेष आयोजन करने की योजना बनाई थी। उन्होंने आयोजन की सूची भी तैयार की थी, जिसमें बेटी की खुशी में हर किसी को शामिल करने का इरादा था। उनका सपना था कि वे अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाएं और उन्हें ऊंचे मुकाम तक पहुंचाएं। लेकिन इस हादसे ने उनके सारे सपनों को चूर-चूर कर दिया।

शाहिद के भाई का दुखद बयान

शाहिद के बड़े भाई मोहम्मद रहीस ने बताया कि हादसे के बाद उन्हें सुबह करीब 7 बजे इस घटना की सूचना मिली थी। वे लेक सिटी ट्रेवल्स के मालिक के साथ अस्पताल पहुंचे, जहां शाहिद की जली हुई लाश उन्हें सौंपी गई। शाहिद का शरीर पूरी तरह जल चुका था, और केवल उनके पैरों के जूते ही पहचानने लायक थे। रहीस ने बताया कि वे पांच भाई थे, जिनमें से एक पहले ही गुजर चुका था और एक मानसिक रूप से कमजोर है। अब इस हादसे ने परिवार पर और भी बड़ा दुख ला दिया है।

यह हादसा केवल एक परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को गहरे दुख में डुबो गया है। शाहिद की मासूम बेटियां अब अपने पिता की छांव से वंचित हो गई हैं, और उनका परिवार इस दुख से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है।