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शिल्पग्राम उत्सव में सुरमई हुई शाम

दमादम मस्त कलंदर... अली दा पहला नंबर,  ज्योति नूरां की रेशमी आवाज ने सूफी कलामों से बांधा समां

 

उदयपुर 22 दिसंबर 2023। शाम वो जो सुरमई हो जाए... सुर वो जो समां बांध दे....  समां वो कि कायनात करे इबादत... और इबादत वो जो``` सुरों से ज्योति नूरां करे और फिजां में पावन रंग भरे। जी हां, हम बात कर रहे हैं पंजाब की सूफी कलामों की जादूगरनी ज्योति नूरां की। जो मेवाड़ में आईं और शिल्पग्राम में ऐसी छाईं कि मुक्ताकाशी मंच के तमाम सामयीन के तमन्ना उठी कि वे अपनी रेशमी और कशिश भरी आवाज में रातभर सूफी कलाम और गाने सुनाती रहें। मौका था पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित किए जा रहे वृहद  शिल्पग्राम उत्सव का। इसमें शुक्रवार की शाम शिल्पग्राम में ज्योती नूरां की गायकी हमेशा-हमेशा के लिए छाप छोड़ गई।

ज्योति ने सधे सुरों में क्लासिकल पुट और दिल तक उतरने वाली तानें छेड़ तरानों और सूफी कलामों में अपनी आवाज की ऐसी जादूगरी दिखाई कि हर कोई सम्मोहित सा हो गया।

उन्होंने अलौकिक राही के कलाम मखमल सी है राहें पर काटे हैं पुरजोर, जोर जोर से चुभ जाएं तो ज़िक्र उठे है यार का... सुनाया तो हजारों सामयीन को  लगा मानों ज्योति नूरां उनकी ही दास्तान बयां कर रही है। उन्होंने  इरशाद कामिल का हिट गीत... हां मीट्ठे पान दी गिल्लौरी, लट्ठा सूट दा लाहोरी... फट्टे मार दी बिल्लोरी, जुगनी मेल मेल के, कूद फांद के... सुनाया तो हर उम्र के लोग नाचने के साथ-साथ सुर में सुर मिलाने लगे। यहां जो मस्ती का मौसम शुरू हुआ तो रुका नहीं। ज्योति ने स्नेहा खानवलकर के गीत टुंग टुंग बजे, टना नंग टांग टना नाना ना... सुनाया तो समूचा माहौल मस्तीमय हो गया,  लोग झूमने लगे, खासकर युवा और बच्चे तो दीवानों की मानिंद नाचने लगे। इसके साथ ही जलीस शेरवानी का कलाम, तेरे बिना... तेरे बिना दिल नइयो लगदा मेरा दिल नइयो लगदा... की तान जैसे ही ज्योति नूरां ने छेड़ी शायद ही कोई संगीत प्रेमी होगा, जिसने तालियां नहीं बजाई हो। बॉलीवुड हिट होने की वजह से लोगों को यह साॅन्ग अपने दिल के आसपास का लगा। उनकी चियरिंग में भी यह अपनापन झलका।

फिर तो मशहूर सिंगर ज्योति नूरां ने ऐसा कलाम गाया, जिस पर तो हिंदी, सिंधी, पंजाबी, उर्दू तक नहीं समझने वाले भी झूम उठे। यह कलाम था पुरनम इलाहाबादी का लिखा... हो लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन सिन्धड़ी दा, सेहवन दा... सखी शाबाज कलंदर दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर दमा दम मस्त कलंदर...।

इसके साथ ही ज्योति नूरां ने मेवाड़ के सुधी सामयीन को निराश नहीं किया और उनकी फरमाइशों पर भी कुछ तराने और सूफी गाने गाकर सबका हृदय झंकृत कर दिया।

लोक झंकार में छाए लोक कलाकार... जीवंत हुई संस्कृति

‘शिल्पग्राम उत्सव’ में तब मुक्ताकाशी मंच पर अनूठा सांस्कृतिक संगम हुआ, जब राजस्थान से लेकर पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र से मणिपुर के लोक कलाकारों को प्रसिद्ध कोरियोग्राफर मैत्रेयी पहाड़ी ने एक सूत्र में पिरोकर उनका ऐसे फ्यूजन को पेश किया कि हजारों कला प्रेमी झूम उठे। 

कलाकारों और कोरियाेग्राफर मैत्रेयी की सिद्धहस्तता का प्रमाण बने इस पेशकश ने तमाम सामयीन को ऐसा मंत्रमुग्ध किया कि वे अपलक हर प्रस्तुति को देखते और सराहते रहे। इस प्रस्तुति पर मुक्ताकाशी मंच हजारों लोगों के झूमने साक्षी बना। एक लोक नृत्य देख लोग उसके जादू से निकले भी नहीं कि दूसरी फॉक डांस टीम का डांस शुरू हो गया। यह पेशकश के शानदार संयोजन का कमाल था कि लोग एक से एक उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति से सम्मोहित से हो गए और हर लोक नृत्य पर वंस मोर-वंस मोर की डिमांड करने लगे। 

लोक नृत्य निर्देशक मैत्रेयी पहाड़ी ने अपने अनुभव और लोग नृत्यों पर उम्दा पकड़ और उसे खूबसूरत तरीके से मंचित करने का तड़का देकर सुपर फॉक डांसर्स से सुपीरियर परफोरमेंस करवा हर लोक नृत्यों को उसकी टॉप की परफोरमेंस बनवा दिया।

बही लोक नृत्यों की अविरल धारा

इस सुपर लोक झंकार के दौरान राजस्थान के चरी को जहां सराहना मिली, वहीं मणिपुरी पुंग ढोल चोलम, छत्तीसगढ़ के ककसार और गोवा के देखनी लोक नृत्य को पहली बार देखने वाले दर्शक भी भाव विभोर हो गए। ओडिशा के गोटीपुआ और गुजरात के सिद्धि धमाल ने तो कमाल ही कर दिया, ऐसे करतब और एक्रोबेटिक प्रस्तुति दी कि दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा शिल्पग्राम गूंजा दिया। 

इसके साथ ही गुजरात के जेठवा, पश्चिम बंगाल के नटवा, महाराष्ट्र के सोंगी मुखोटा और झारखंड के पाइका, पश्चिम बंगाल के पुरलिया छाऊ, कर्नाटक के ढोलू कुनिथा जैसे लोक नृत्यों ने भी कला प्रेमियों का मन मोह लिया। तो, दमन के माची, गुजरात के राठवा, राजस्थानी कालबेलिया, पंजाब के भांगड़ा  नृत्यों की धमाल मचा देने वाली प्रस्तुतियों में दर्शक झूमने लगे। इसके साथ ही जब लंगा गायन शुरू हुआ तो सामयीन वाह-वाह कर उठे। तमाम श्रोता लंगा वाद्यों कमायचा और सारंगी की धुनों पर थिरकते दिखाई दिए।

मांडणा प्रतियोगिता में झलक रहीं प्रथम

शिल्पग्राम उत्सव’ में शुक्रवार को मांडणा कला प्रतियोगिता में कलाकारों ने अपनी उम्दा आर्ट का प्रदर्शन किया, वहीं इसमें बढ-चढ़कर भाग भी लिया।


इस प्रतियाेगिता में मांडणा कलाकारों ने दीवार पर चूने और प्राकृतिक रंगों से अनूठी रचनाएं की। उनकी कला ने ग्रामीण संस्कृति की स्पष्ट झलक दिखाई दी। शाम को प्रतियोगिता का परिणाम घोषित किया गया। इसमें झलक बंडवा ने प्रथम, रौनक सोनी ने द्वितीय और अंजु कडेर ने तीसरा स्थान हासिल किया। इनके अलावा तनिशा माली, कोमल प्रजापत, यशस्वी माली, संगीता शर्मा और विशाखा रैगर को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रतियोगिता में डॉ. राम सिंह भाटी, संजय सेठी और किशोर सदाशिव जज थे।