उदयपुर के गुलाबबाग की कुछ देखी व अनदेखी समस्याएं
अब नहीं तो कभी नहीं, पर्यटन के प्रति जागरूक हो
उदयपुर 7 नवंबर 2024। शहर का गुलाब बाग, सज्जननिवास बाग, केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि शहर के दिल में एक जीवंत धरोहर है। यह बाग उदयपुर के गौरवशाली अतीत और सांस्कृतिक सौंदर्य का साक्षात प्रतीक है। वर्षों पहले इसे मेवाड़ के महाराणा ने शहर को उपहारस्वरूप दिया था, ताकि यह हरियाली, सौंदर्य, और शांति का केंद्र बनें इसके लिये उदयपुर होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष यशवर्द्धनसिंह राणावत अपने सहयोगियों के साथ पर्यटन स्थलों, शहर के कुओं व बावड़ियों की सफाई कर उन्हें उनके मूल स्वरूप मे लायें।
उन्होंने बताया कि शहर के ऐतिहासिक धरोहरों की अनदेखी हो रही है। अदूरदर्शी योजना और सौंदर्यविहीन संरचनाओं ने इस बाग की सुंदरता और ऐतिहासिकता को नष्ट करने में हमनें कोई कसर नहीं छोड़ी है। शहर के सभी शक्तिशाली गलियारों के सभी युवा और वरिष्ठ इस बाग में दिनचर्या के रूप में सुबह सैर सपाटे के लिए आते हैं, पर बाग की दशा से अनभिज्ञ प्रतीत होते हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम इस धरोहर की पुकार सुनें और इसे उसकी खोई हुई गरिमा वापस दिलाएं।
कुछ देखी व अनदेखी समस्याएं
गुलाब बाग, जो कभी गुलाबों की खुशबू और हरियाली से महकता था, अब बदहाली का शिकार हो गया है। बाग में जगह-जगह गंदगी, टूटी-फूटी पगडंडियाँ, और उपेक्षित बाग-बगीचे इसकी दुर्दशा को दर्शाते हैं। इसका बर्ड पार्क, जो कभी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र था, अब मरम्मत की जरूरतों से घिरा है। ऐतिहासिक बावड़ियों (14 प्राचीन जलाशय) का संरक्षण लगभग खत्म हो चुका है, और यह भीषण स्थिति उनकी अहमियत को समझाने में नाकाम रही है। साथ ही, पारंपरिक शैली में निर्माण के बजाय, अब बाग में नये निर्माणों में सीमेंट मोल्ड का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे इसकी प्राचीनता और सांस्कृतिक पहचान दोनों खतरे में हैं।
बीसीबाई टूरिज़्म के चार्टर अध्यक्ष राणावत ने बताया कि गुलाब बाग में कई छोटे मंदिर भी हैं, जिन्हें देखरेख की आवश्यकता है। इन मंदिरों की मौलिकता और भव्यता आज विलुप्त होने की कगार पर हैं। दुर्भाग्य से, नगर निगम के पास न तो पर्याप्त विशेषज्ञता है और न ही अनुभव, जिससे गुलाब बाग को एक ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके। जब सोच ही पूर्ण विकसित नहीं तो विकास कैसे हो पायेगा।
उन्होंने बताया कि जीर्णोद्धार और संरक्षण करते हुए गुलाब बाग की हरियाली को पुनर्जीवित किया जाए। पर्यावरण-अनुकूल और सौंदर्य-वर्धक तरीकों से बाग का पुनर्निर्माण किया जा सकता है, ताकि यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकें। पुस्तकालय के प्रचार-प्रसार के तहत गुलाब बाग में स्थित अद्वितीय पुस्तकालय की अनदेखी एक बड़ी चूक है। इसे विकसित कर इसकी पहुंच को बढ़ाया जा सकता है, जिससे यह एक शैक्षिक और सांस्कृतिक केंद्र बनें।
बाग के कुछ छोटे हिस्सों को स्थानीय उद्योगपतियों से गोद लेकर संवारा जा सकता है, जिससे ये हरे-भरे और सुंदर स्थानों में बदल जाएं। लेकिन यह अतिविशिष्ट पैनल की निगरानी में होना चाहिए, जिन्हें संरक्षण का संपूर्ण ज्ञान हो। गुलाबबाग की पगडंडियों को साफ-सुथरा और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से सजाया जाए। ये पगडंडियाँ हर किसी को एक अद्भुत अनुभव प्रदान कर सकती हैं। बाग की बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया जाए और इनमें जानकारी संबंधी पैनल लगाए जाएं, ताकि पर्यटक इनकी ऐतिहासिकता को समझ सकें। शाम व रात्रि के समय इन्हें रोशन किया जाए ताकि ये और आकर्षक लगें। बर्ड पार्क को और आकर्षक बनाया जाए, ताकि यह फिर से पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आकर्षित कर सकें।
राणावत ने बताया कि एक छोटे और प्रभावी अति आधुनिक सूचना केंद्र की स्थापना की जाए, ताकि पर्यटकों को यहाँ की ऐतिहासिकता और सौंदर्य के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकें। बाग में जो भी निर्माण कार्य हो, उसमें पारंपरिक पत्थरों और उच्च-गुणवत्ता वाली सामग्री का ही प्रयोग हो, ताकि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बना रहें।
गुलाब बाग अपने नाम को सार्थक बनाने के लिए फिर से कमल तलाई का निर्माण किया जा कसता है। इसे वर्षभर खिले रहने वाले कमल से सुसज्जित किया जाए ताकि यह बाग की शोभा को और बढ़ा सकें।
गुलाब बाग के संरक्षण के लिए शहर के सभी लोगों को एकजुट होकर काम करना होगा। हम सभी के प्रयासों से ही यह बाग फिर से शहर का गौरव बन सकता है। यह एक ऐसा स्थल बन सकता है जहाँ लोग शांति और सामंजस्य का अनुभव करें, जहाँ युवा अपने विचारों का आदान-प्रदान करें, और जहाँ सभी उम्र के लोग आकर्षक गतिविधियों का आनंद लें।