×

पढ़ाई की ऐसी ललक कि पहले माता-पिता का घर छोड़ा और फिर उच्च न्यायालय से प्रोटेक्शन ली

पढ़ाई करना भारतीय संविधान आर्टिकल 21 के अंतर्गत मूल अधिकारों की श्रेणी में आता है

 

चितौड़गढ़,18 दिसंबर 2023। जिले में एक ऐसा भी मामला सामने आया है जहां माता पिता अपनी बच्ची को पढ़ाना नहीं चाहते है और अत्याचार करने वाले ससुराल भेज रहे थे। इस पर लड़की ने जोधपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पीड़िता ने मांग की है की उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएं । 

इस मामले में अधिवक्ता रहे भरत श्रीमाली ने बताया कि पीड़िता के माता पिता द्वारा बचपन में ही उसकी इच्छा के विरुद्ध सामाजिक रीतियों के चलते शादी करवा दी गई। परंतु ससुराल वालों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया तथा पढ़ाने लिखाने से भी मना कर दिया ।

इस पर परिवादिया पुन: अपने पिता के घर लौट आई लेकिन उसके माता-पिता भी उसे वापस समाज के दबाव में आकर उसके ससुराल भेजने की जिद करने लगे। परिवादिया की पढ़ने की ललक ऐसी थी कि उसने अपने माता-पिता का घर त्याग दिया। इस पर पीड़िता को धमकियां मिलने लगी तो उसने पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश की पर कोई उचित कार्यवाही नहीं होने पर परिवादिया ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रोटेक्शन के लिए याचिका दायर की जिसपर संज्ञान लेते हुए माननीय उच्च न्यायालय पुलिस अधीक्षक चित्तौड़गढ़ को आदेश दिया गया है कि वो यह सुनिश्चित करे कि याचिकाकर्ता को किसी तरह का नुकसान न हो और अगर जरूरत हो तो उसे पुलिस प्रोटेक्शन भी दे।

इसी आदेश की पालना में उच्च न्यायालय के आदेश के साथ याचिकाकर्ता को पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश करेंगे तथा आदेश की पालना करवाएंगे । आपको बता दे की पढ़ाई करना भारतीय संविधान आर्टिकल 21 के अंतर्गत मूल अधिकारों की श्रेणी में आता है।