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कोविड मृत्यु प्रमाण और आर्थिक मुआवज़े के नियम सितम्बर 23 तक - सुप्रीम कोर्ट का सरकार को निर्देश

कोविड-19 की पुष्टि होने के 30 दिन के अंतराल में मौत होने पर उसे कोरोना से मौत माना जाएगा
 
ICMR ने कहा है कि 95 फीसदी मामलों में कोविड-19 पॉजिटीव आने के 25 दिनों के भीतर मौत

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को COVID के दरमियान हुई मौत का मृत्यु प्रमाण पत्र और आर्थिक मुआवज़े के लिए नियम पेश करने के लिए 23 सितम्बर तक हा वक़्त दिया हैसूत्रों के अनुसार और मीडिया में आई खबर के अनुसार माननीय न्यायलय ने सरकार की तरफ से दी हुई दिशा निर्देश में उस खंड पर पुनर्विचार करने को कहा है, जिसमे यह लिखा गया है कि अगर कोविड होने के बावजूद मौत जहर खाने से, आत्महत्या करने से या हत्या की वजह से हुई हो, तो कोविड म्रत्यु प्रमाण पात्र नहीं दिया जाएगा। 

सितम्बर 11 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद व स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी से मौत के मामलों में मृत्यु प्रमाण पत्र(डेथ सर्टिफिकेट) के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया है। दिशानिर्देश के अनुसार, मेडिकल जांच में कोविड-19 की पुष्टि होने के 30 दिन के अंतराल में मौत होने पर उसे कोरोना से मौत माना जाएगा, भले ही मौत अस्पताल से बाहर ही क्यों न हुई हो। ICMR ने अपने अध्ययन में पाया है कि 95 फीसदी मामलों में कोविड-19 पॉजिटीव आने के 25 दिनों के भीतर मौत हुई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है।

यह थी गाइडलाइन जो सरकार ने कोर्ट में पेश की थी

कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटीव हो या क्लिनिकली कोविड की पुष्टि, 30 दिन में मौत को कोविड डेथ लिखा जाएगा। चाहे मौत को कोविड डेथ लिखा जाएगा। चाहे मौत अस्पताल के बाहर ही क्यों न हुई हो। यदि मरीज को कोरोना संक्रमण हुआ हो और वह लगातार अस्पताल या इन-पेशेंट फैसेलिटी में हो तो 30 दिन से ज्यादा होने पर भी मौत को कोविड डेथ माना जाएगा। कोरोना संक्रमण तय हुए बगैर अस्पताल या घर पर मौत होने पर फॉर्म 4 और 4 ए मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया जाएगा।

जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम के तहत जारी कोविड मृत्यु प्रमाणप्रत्र मान्य होगा। यदि मौत का कारण जहर, आत्महत्या या एक्सिडेंट होगा तो उसे कोविड से मौत नहीं माना जाएगा। चोहे टेस्ट कोविड टेस्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई हो।