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कर्मचारी एवं व्यापारियों के लिए कर राहत किंतु बढ़ेगी आय विषमता :प्रो भाणावत

लेखा एवं व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग में बजट की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पर चर्चा

 

उदयपुर 24 फ़रवरी 2025 । लेखा एवं व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग में, केंद्रीय बजट 2025-26 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विषय पर पर विभागाध्यक्ष प्रो शूरवीर सिंह भाणावत की अध्यक्षता में विभाग के संकाय सदस्य एवम शोधार्थियों ने शनिवार को अपने विचार प्रकट किए। परिचर्चा की शुरुआत मे सभी शोधार्थियों ने बजट के मुख्य बिन्दुओ के बारे में बताया। 

शोधार्थी कंपनी सेक्रेटरी अशोक शर्मा ने आयकर में 12 लाख की आय तक कर मुक्ति के अपवादों का वर्णन करते हुए इस बदलाव से सकल घरेलु उत्पाद पर पड़ने वाले संभावित परिणामो की समीक्षा की। शोधार्थी अशोकसिंह राणा ने पिछले वर्षो के बजट के लक्ष्यों एवं वास्तविक परिणामो में बढ़ते विचलनों पर प्रकाश डाला। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शिल्पा लोढ़ा ने बताया की इस बजट में निर्माणी क्षेत्र पर कम बल दिया गया परन्तु राजकोषीय घाटे को 4.8% तक कम किया जाना सराहनीय है। 

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आशा शर्मा ने बजट को 6 विभिन्न वर्गों में विभाजित करते हुए प्रत्येक वर्ग की व्याख्या की। डॉ शिल्पा वर्डिया ने इस बजट के प्रभाव स्वरुप जिन कंपनियों के अंशो पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है उनकी जानकारी दी। 

अंत में प्रो शूरवीर सिंह भाणावत ने बजट के सकारात्मक व नकारात्मक आर्थिक प्रभाव के बारे में बताया की 12 लाख तक कर में छूट होने से मध्यम वर्ग को 60000 रुपए तक राहत मिलेगी तथा 12 लाख से ज़्यादा वार्षिक आय होने पर अधिकतम 1,10,000 रुपए की राहत मिलेगी। सरकार का कहना है की आयकर में यह राहत देने से एक लाख करोड़ रुपये का बोझ सरकारी राजस्व पर पड़ेगा। साथ ही सरकार का यह भी कहना कि आयकर में अगले वर्ष 1.8   लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। यह कैसे संभव है। इसका यह अर्थ हुआ की 24 लाख से ज़्यादा कमाने वालो की आय इतनी बढ़ेगी की इस पर कर का इतना भुगतान होगा की इससे न केवल एक लाख करोड़ की भरपाई होगी अपितु कुल कर राजस्व में वृद्धि होगी। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि इस बजट से देश के अमीर एवं गरीब के मध्य की वित्तीय असामनता बढ़ेगी | 

सरकार ने यह भी कहा की एक लाख करोड़ की कर राहत देने से देश की अर्थव्यवस्था में उपभोग बढ़ने से निर्माणी क्षेत्र में गति आएगी। प्रो भाणावत् ने इस पर कहा की यह आवश्यक नहीं है की वह खर्च ही करेगा ।

कुछ संभावनाएं इस प्रकार है 

  • आज के माहौल में वह बचत करे। 30% बचत की दर तो आज भी है 
  • विदेशी निर्मित माल भी ख़रीद सकता है जिससे देश में उत्पादन नहीं बढ़ेगा।
  • जॉब की अनिश्चितता के कारण भी टैक्स पेयर खर्च के बजाय बचत ज़्यादा करेगा 
  • 2023-24 में देश में कुल होम लोन , पर्सनल लोन, एग्रीकल्चर लोन तथा हाउसहोल्ड लोन जी डी पी का 41% हो गया है। ऋण की यह वृद्धि आय में कटौती को दर्शाता है । ऐसी दशा में हो सकता टैक्स पेयर ऋण का पुनर्भुगतान करे. यदि ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ऐसी परिस्थिति में हम मंदी की तरफ़ बढ़ेगे। 

अंत में एसोसिएट डीन डॉ शिल्पा वार्डिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।