UCCI द्वारा औद्योगिक विद्युत दरों में वृद्धि पर आपत्ति
उदयपुर 8 अक्टूबर 2025। उदयपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (UCCI ) के अध्यक्ष मनीष गलुण्डिया ने राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा हाल ही में घोषित औद्योगिक एवं आम उपभोक्ताओं हेतु विद्युत दरों में वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
अध्यक्ष मनीष गलुण्डिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से यह घोषणा की थी कि केंद्र सरकार अंतिम उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत प्रदान करने के पक्ष में है। इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने GST दरों में कमी करते हुए उपभोक्ता वस्तुओं पर दो GST टैक्स श्रेणियों (स्लैब) को समाप्त किया है ताकि दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य में कमी लाई जा सके और आमजन को महंगाई से राहत मिले।
ऐसे समय में राज्य सरकार के अधीन राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा एक रुपये प्रति यूनिट का रेग्युलेटरी सरचार्ज लगा दिया गया है, जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में अंकित डिस्कॉम्स के वार्षिक राजस्व मांग की अधिकतम 3% की सीमा से भी बहुत अधिक होने से विधि विरूद्ध भी है।
साथ ही फिक्स चार्ज भी 100 से 350 रुपये प्रतिमाह तक बढा दिये गये हैं जिससे बिजली की दरें पहले की तुलना में 40 पैसे से लेकर 1.25 रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो गई है। इसके अतिरिक्त उद्योगों को मिल रही छूट भी कम कर दी गयी है व कुछ सरचार्ज बढा दिये हैं.औद्योगिक एवं वाणिज्यिक विद्युत दरों में वृद्धि किया जाना प्रधानमंत्री की जन-हितैषी नीति और भावना के विपरीत प्रतीत होता है।
इस वृद्धि के कारण उद्योगों की उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिससे निर्मित उत्पादों के मूल्य बढ़ेंगे और अंततः इसका भार आम जनता एवं मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।इसके अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों पर भी नया ' पैरेलल ऑपरेशन चार्ज '( करीब 12 से 28 रूपये प्रति केवीए) लगाया गया है, जो भारत सरकार व राज्य सरकार की नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने की नीति के विरुद्ध है.
UCCI का मानना है कि राज्य सरकार एवं विद्युत विनियामक विभाग को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए तथा औद्योगिक विद्युत दरों में वृद्धि को तत्काल प्रभाव से स्थगित या वापस लेना चाहिए। उद्योगों को राहत देना ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक सशक्त कदम होगा।
UCCI राज्य सरकार से आग्रह करती है कि वह उद्योगों के हित में तथा आम उपभोक्ताओं के हित में इस निर्णय का पुनर्मूल्यांकन करे ताकि राज्य की औद्योगिक प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।