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20 साल बाद सुधरेगी उदयसागर झील की नहर, घाट-जल संगम भवन भी बनेंगे

जल क्षेत्र सुधार आजीविका परियोजना के तहत 45.96 करोड़ रुपए मंजूर

 

उदयपुर। उदयसागर झील से निकलने वाली 85 किमी लंबी नहर के दिन फिरने वाले हैं। अभी यह जगह-जगह से जर्जर होने के कारण करीब 30 प्रतिशत तक इसका पानी व्यर्थ बह जाता है, साथ ही सीपेज के कारण खेतों में भी फसलों को नुकसान पहुंचता है। अब राजस्थान जल क्षेत्र सुधार आजीविका परियोजना के तहत इसके विकास के लिए 45.96 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें से 35.90 करोड़ रुपए की लागत से उदयसागर झील के नहरी तंत्र को सुधारा जाएगा।

यह राशि इस परियोजना के तहत जापान इंटरनेशनल कॉरपोशन एजेंसी (जायका) खर्च करेगी। इसके लिए जल संसाधन विभाग ने टेंडर निकाल दिए हैं। इसकी तकनीकी बिड 9 अक्टूबर को खुलेगी। इसके बाद जल्द ही काम शुरू होगा। बता दें कि बीच-बीच में एक-दो किमी के काम को छोड़ दिया जाए तो इस नहर की मरम्मत करीब 20 साल बाद होगी।

उधर, जो लोग फव्वारा सिंचाई योजना और सोलर सिस्टम का काम करवाना चाहते हैं, उन्हें 75% तक सब्सिडी दी जाएगी। इसमें जायका प्रोजेक्ट के तहत 10 करोड़ रु. की सहायता दी जाएगी। हॉर्टिकल्चर विभाग और राजीविका इसमें सहयोग करेंगे।

85 किमी लंबी है नहर, 28 गांवों को होगा फायदा

इस 85 किमी की नहर की मरम्मत से झील के कमांड क्षेत्र के 28 गांवों को फायदा मिलेगा। इनके 6318 हैक्टेयर एरिया में इससे भूमि सिंचित होगी। झील का गेज 24 फीट है और भराव क्षमता 1100 एमसीएफटी है। इसमें से 800 एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए दिया जाता है। गांवों में साल में चार बार सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। 

विभाग के अधिशासी अभियंता अनिल थालोर ने बताया कि यह नहर डबोक से शुरू होकर नाहर मंगरा तक जाती है। इस बीच कमांड क्षेत्र के बिछड़ी, मेड़ता, धूणी माता, नांदेवल, मंदेसर आदि गांवों से होकर गुजरती है। नहर की मरम्मत के लिए ही कई जगह बाट बनाए जाएंगे तथा 6 उपभोक्ता जल संगम भवन तैयार किए जाएंगे। इनके जल्द चुनाव करवाकर इनके अध्यक्ष बनाए जाएंगे। यह लोग नहर की देखरेख का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि जायका एजेंसी जल और वन संरक्षण के क्षेत्र में काम करती है। इसी के तहत नहर का बजट जारी किया है।