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ऊंट तो दिखते नहीं, फिर भट्‌टीयानी चौहट्‌टा के पास वाली घाटी ऊंटों का कारखाना क्यों है?

पर्यटकों को निगम बताएगा क्यों और कैसे पड़े यह अनूठे नाम

 

उदयपुर,14 दिसंबर। ‘‘वेनिस ऑफ द ईस्ट’’ नाम दिया गया है इस शहर को। झीलों की नगरी उदयपुर पूरे विश्व में अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। हर साल यहां लाखों पर्यटक आते हैं और इसे अपने कैमरे और दिलों में कैद करते हैं। इस पर्यटक नगरी में नवाचार करने के लिए मेयर जीएस टांक और डिप्टी मेयर पारस सिंघवी के सुझाव पर निगम प्रशासन ने कमेटी बनाई है। इस कमेटी में इतिहासविद डॉ. विवेक भटनागर, डॉ. देव कोठारी, डॉ. राजेंद्र पुरोहित आदि को शामिल किया गया है। ये विशेषज्ञ इन ऐतिहासिक स्थलों के नामकरण से जुड़े प्रामाणिक तथ्य जुटा रहे हैं। 

ऊंट तो दिखते नहीं, फिर भट्‌टीयानी चौहट्‌टा के पास वाली घाटी ऊंटों का कारखाना क्यों है? सूरजपोल अंदर की तरफ झीणी रेत नाम कैसे पड़ा? शहर में हर साल आने वाले लाखों पर्यटक ऐसे ही सवालों के जवाब पाए बिना लौट जाते हैं। समाधान के लिए नगर निगम इन इलाकों से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों और जन श्रुतियों को लिपिबद्ध करवाएगा। ये जानकारियां साइन बोर्ड पर अंकित कर संबंधित मोहल्लों-इलाकों में उन प्रमुख स्थानों पर लगाएंगे, जहां आवाजाही ज्यादा रहती है।

अनूठे और दुनिया के चौथे सबसे खूबसूरत शहर के इलाकों के नामकरण की रोचक कहानियां...

ऊंटों कारखाना : क्योंकि रियासत काल में शासकों के साजो-सामान ऊंटों पर आते थे। इन ऊंटों का ठिकाना इस स्थान पर ठहरा करते थे।

लोकेशन : पिछोली में मामाजी के हवेली के पास।

काला गोखड़ा: शहर में काले पत्थर के एलिवेशन वाली हवेली। इसे गोखड़े (झरोखों) की नक्काशी आज भी देसी-विदेशी पर्यटकों को चौंकाती है।

लोकेशन : श्रीनाथजी की हवेली मार्ग।

धनकुटों की गवाड़ी: महलों में जो धान आता था, उसे इस स्थान पर कूटा जाता था। यह काम करने वाले धनकुटा कहलाए व उनकी बस्ती गवाड़ी।

लोकेशन : भट्टीयानी चौहट्टा।

फूटा दरवाजाः ज्योतिषी जोशी जी के बुलावे पर महाराणा राज सिंह हाथी पर आए। दरवाजा छोटा था। महाराणा हाथी से नहीं उतरे। दरवाजा तोड़ा गया था।

लोकेशन : सिंधी बाजार-दाता भैरू मार्ग।

सीताफल की गली: किसी जमाने में इस एकमात्र इलाके में सीताफल के झाड़ थे। यहां अधिकतर मेवाड़ राज्य के प्रशासकीय अधिकारियों की हवेलियां थीं।

लोकेशन : गणेश घाटी क्षेत्र

झीणी रेतः किसी समय यहां से पिछोला के पानी का निकास था। इसलिए यहां झीनी (महीन) रेत फैली रहती थी। अब यहां पर बड़ा और पक्का चौक है।

लोकेशनः सूरजपोल अस्थल मंदिर के पास।

मालदास स्ट्रीटः नगर सेठ मालदास के नाम पर इस बाजार का नाम पड़ा। वे हरक्या खाल की लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

लोकेशन: बड़ा बाजार-हाथीपोल सड़क।

मार्शल चौराहा : स्वतंत्रता सेनानी मास्टर छोगालाल ने यहां अखबार शुरू किया था। उन्हें लोग मार्शल कहते थे, इसलिए जगह का नाम मार्शल चौराहा हो गया।

लोकेशन : झीणी रेत से आगे वाला चौराहा ।

Source: Dainik Bhaskar