×

विश्व मानक दिवस - मैनुअल से डिजिटल हुए तराजू,ओटीपी सुरक्षा कवच भी लगा 

जहां भी पत्थर इस्तेमाल होते हैं, वहां तराजू को जब्त कर लिया जाता है

 

उदयपुर,14 अक्टूबर । बैंक अकाउंट में छेड़छाड़ से पहले जिस तरह ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) समेत अन्य सावधानियां बरती जाती हैं। उसी तरह अब वेइंग इंस्ट्रूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ करने से पहले कंपनी को ओटीपी प्राप्त होता है। बगैर ओटीपी डाले ये मशीनें अनलॉक ही नहीं होती हैं। इसका सीधा फायदा उपभोक्ता को मिल रहा है । टेक्नोलॉजी के साथ इस इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया है। पत्थर, लोहे के बाट से शुरू हुए माप के तरीके और उपकरण अब हाई टेक हो चुके हैं।

वहीं उपभोक्ता मामले में विभाग (लीगल मेट्रोलॉजी सेल) की ओर से औचक निरीक्षणों में भी लगभग 10 फीसदी मामलों में ही एरर पाया जाता है। उदयपुर के विधिक माप विज्ञान अधिकारी रामअवतार पूनिया के मुताबिक 2020 में हुए नियमों में बदलाव के बाद अब दुकानदार व अन्य संचालकों को स्वयं विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर साल में एक बार वेइंग इंस्ट्रूमेंट्स की केलिब्रेशन और वेरिफिकेशन के लिए रिक्वेस्ट डालनी होती है। 

इस साल जनवरी से लेकर अब तक लगभग 2200 आवेदन आए हैं। इनमें से करीब 2100 जगह वेरिफिकेशन किए गए हैं। 8 से 10 फीसदी मामलों में ही नियमों का उल्लंघन पाया जाता है। ज्यादातर जगह इलेक्ट्रॉनिक तराजू आ गए हैं। इनमें एरर की संभावना कम रहती है।

टेक्नोलॉजी के चलते बड़ी जगहों जैसे पेट्रोल पंपों पर ओटीपी बेस्ड सिस्टम आ गए हैं। अगर यहां इन मशीनों को खोलना है तो इसके लिए ओटीपी मेनुफेक्चरिंग कंपनी के पास जनरेट होता है। इसके बाद मशीन की प्रोग्रामिंग का एक्सेस मिलता है। वहीं, मशीन बंद करने के लिए भी ओटीपी आता है।

इसके बाद अगर कोई और बदलाव करने हों तो मेनुफेक्चरिंग कंपनी, एक सरकारी कर्मचारी, संबंधित ऑयल कंपनी के प्रतिनिधि की उपस्थिति में ही ऐसा कर सकते हैं। हालांकि, अभी भी कुछ अस्थायी फुटकर दुकानों पर तराजू में लोहे के बाट व पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां भी पत्थर इस्तेमाल होते हैं, वहां तराजू को जब्त कर लिया जाता है। इसके साथ ही इसे लेकर जागरूकता शिविर भी लगाए जाते हैं।