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विश्व की प्राचीनतम शुद्ध जस्ता उत्पादन केंद्र है उदयपुर का जावर क्षेत्र 

जावर ने किया भारत का नाम रोशन

 

जावर विश्व की प्राचीनतम शुद्ध जस्ता उत्पादन केंद्र है यह उदयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इस स्थल की खोज एवं पुरातात्विक अध्ययन वर्ष 1982-83 में हुई जिसमें जिसका श्रेय श्री हरिहर पालीवाल, श्री ललित गुर्जर एवं पॉल क्रैडॉक आदि को जाता है। 

क्षेत्र की पहाड़ियों में अनेक प्राचीन खाने हैं जिनमें 2400वर्ष से धातु खनन का कार्य किया जा रहा है। 19वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक यहां औद्योगिक स्तर पर जस्ता बनाया गया शोधकर्ताओं के अनुसार लगभग 32000 टन जस्ता निकाला गया तथा इसके प्रगलन अवशेष लगभग 600000 टन जावर के प्राचीन शहर में बिखरे पड़े हैं। 

वर्ष 1736 तक यूरोप में जस्ते की जानकारी नहीं थी। जस्ता व्यापार के कारण भारत से यूरोप जाता रहा सोलहवीं शताब्दी में चीन ने जस्ता बनाना प्रारंभ किया वह भी भारत के रास्ते यूरोप तक पहुंचता था। वैश्विक बाजार में भारत का जस्ता तू ते नाग के नाम से प्रख्यात था जिसे चीन ने भी अपनाया।

अतः जावर के प्राचीन धातु कर्मियों और वैज्ञानिकों ने विश्व में जस्ते का ज्ञान देकर भारत का नाम हमेशा के लिए रोशन किया दुर्भाग्य से यह महत्वपूर्ण प्राचीन अवशेष धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं।