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शहर के दो युवा बाँट रहे है कोरोना संक्रमितों को खाना 

फरीद हुसैन उर्फ़ मोंटो खान और तौसीफ जर्मनवाला घर घर जा कर बाँट रहे है संक्रमितों को खाना

 
फरीद और तौसीफ खाना बनाने से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक की ज़िम्मेदारी खुद ही संभल रहे है। हालाँकि किचन में उनका साथ ज़ाहिद शब्बीर नामक वालंटियर बखूबी देते है वहीँ फ़ूड डिस्ट्रीब्यूशन में नीलिमा मुख़र्जी दोनों का साथ निभाती है। 

वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के शहर सहित देश के लगभग सभी हिस्सों में तबाही मचा रखी है। रोज़ाना हमारे शहर में हज़ार के करीब मरीज़ कोरोना से संक्रमित आ रहे है, वहीँ रोज़ाना करीब 10 से 15 लोग अपनी जान भी गँवा रहे है।  एक तरफ शहर में लॉकडाउन लगा हुआ है।  बाजार सभी बंद है साथ ही रेस्टॉरेंट और होटल्स भी बंद है।  

कोरोना वायरस की चपेट में कहीं कहीं पूरी फैमिली चपेट में है, जो लोग अस्पताल में भर्ती है उन्हें अस्पताल और कई स्वयंसेवी संस्थाओ के ज़रिये खाना मिल जाता है।  लेकिन जो लोग होम आइसोलेशन में है और जिनकी फैमिली के एक दो या उससे अधिक संक्रमित है उन्हें किचन में जा कर खाना बनाने और बाहर से सामान लाने में दिक्कत है उनके लिए शहर के दो युवा फरीद हुसैन उर्फ़ मोंटो खान और तौसीफ जर्मनवाला खाना पहुँचाने का पुनीत कार्य दो सप्ताह से अंजाम दे रहे है। 

फरीद और तौसीफ ने बताया की शुरुआत में उन लोगो ने 25 से 30 खाने के पैकेट बांटे थे आज लगभग 180 से 200 लोगो को खाना पहुंचा रहे है। फरीद और तौसीफ खाना बनाने से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक की ज़िम्मेदारी खुद ही संभल रहे है। हालाँकि किचन में उनका साथ ज़ाहिद शब्बीर  नामक वालंटियर बखूबी देते है वहीँ फ़ूड डिस्ट्रीब्यूशन में नीलिमा मुख़र्जी  दोनों का साथ निभाती है। 

Tauseef germanwala, Fareed hussain (Monto khan), Nileema mukherjee and Zahid shabbir 

खुद की सेफ्टी का भी रखते है ख्याल 

तौसीफ जर्मनवाला ने बताया की वह और फरीद अपने खुद की सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह से सजग है। फ़ूड डिलीवरी करते समय वह हैंड ग्लव्स, डबल मास्क, सैनिटाइज़र आदि का सख्ती से पालन करते है। फरीद और तौसीफ ने बताया की जब उन्होंने संक्रमितों को खाना पहुंचाने का बीड़ा उठाया तो शुरुआत में घर वाले काफी चिंतित थे। क्यूंकि वह उन लोगो को खाना पहुँचाने की मंशा जता रहे थे जो संक्रमित थे लिहाज़ा उनकी सुरक्षा को लेकर घरवालों की चिंता भी वाज़िब थी। लेकिन अब घरवाले भी उन्हें प्रोत्साहित करते है।

रमज़ान के पवित्र माह में जहाँ लोग इबादत के साथ नेकी का काम अंजाम देते है वहीँ यह दोनों युवा ज़रूरतमंद लोगो को खाना पहुँचाने का नेक काम कर रहे है फरीद और तौसीफ इस पूरे प्रोजेक्ट को अपने दम पर ही चला रहे है।  न तो किसी से वित्तीय मदद लेते है और न ही डोनेशन स्वीकार करते है। खुद के दम पर और कुछ मदद उन्हें दोस्तों, परिवारवालों की मिल जाती है। 

इस नेक काम की प्रेरणा स्त्रोत के बारे में पूछने पर फरीद ने बताया उनकी फेसबुक पर 'foodies hain hum" नामक ग्रुप जो पिछले लॉकडाउन में बनाया गया था जिनका मकसद अच्छे और लज़ीज़ पकवान की रेसिपी लोगो तक पहुँचाना था।  इस ग्रुप में लोगो के जुड़ाव और लॉकडाउन में स्वयं द्वारा संचालित रेस्टॉरेंट बंद होने पर उनके मन में होम आइसोलेशन में रह रहे लोगो को खाना पहुँचाने का ख्याल आया जिसमे उनके मित्र तौसीफ जर्मनवाला ने उसका बखूबी साथ दिया।