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डॉ अनिल मेहता झील संरक्षण सुधार पर बनी राष्ट्रीय सलाहकार समिति मे नामित

झील संरक्षण समिति के सदस्य झील प्रेमी डॉ अनिल मेहता विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य है

 

नई दिल्ली/उदयपुर। देश मे कोई भी झील तालाब प्रदूषित नही रहे तथा जन समुदाय की सहभागिता से झीलें, तालाब अपना नैसर्गिक स्वरूप पुन: प्राप्त करे, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के इस आह्वान को पूर्ण करने मे एआईसीटीइ ऑल इंडिया कौंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, भारत सरकार ने पहल की है। इस कार्य का रोड मैप तैयार करने व संपूर्ण अभियान की रूप रेखा बनाने के लिए एआईसीटीइ ने एक नौ सदस्यीय राष्ट्रीय सलाहकार समिति का गठन किया है। 

विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य व झील संरक्षण समिति के विशेषज्ञ सदस्य डॉ अनिल मेहता को इस समिति मे नामित किया गया है। समिति मे डॉ अनिल मेहता के अलावा लेक मेन कहे जाने वाले बेंगलूरु के आनंद मालिगवाड, एनवायरमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया चेन्नई के संस्थापक अरुण कृष्णमूर्ति, पृथ्वी विज्ञान केंद्र तिरुवनंतपुरम के प्रमुख डी पदमलाल, खजुराहो के प्रो अश्वनी कुमार, रीवा के रबिंद्र नाथ तिवारी, ॠषिहूड विश्वविद्यालय के जल केंद्र के निदेशक संजय गुप्ता, आगा खान फाउंडेशन के सीईओ रतिश नंदा एवं झील विज्ञानी श्रीधर राधाकृष्णन सम्मिलित है। 

समिति की पहली बैठक बुधवार को एआईसीटीइ मुख्यालय नई दिल्ली मे एआईसीटीइ अध्यक्ष डॉ अनिल सहस्त्रबुद्धे की अध्यक्षता व सलाहकार डॉ रमेश उनीकृषण के संयोजकत्व मे आयोजित हुई। 

बैठक की जानकारी देते हुए अनिल मेहता ने बताया कि एआईसीटीइ अध्यक्ष सहस्त्रबुद्धे तथा उपाध्यक्ष डॉ एम पी पूनिया एआईसीटीइ से संबद्ध संस्थानो के  दो करोड़ तकनीकी विद्यार्थियों, बीस लाख संकाय सदस्यों तथा तकनीकी संस्थानो मे उपलब्ध ज्ञान को झील तालाब संरक्षण व सुधार से जोड़ना चाहते हैं। 

मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार समिति चौदह बिंदुओं पर कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत करेगी। इस कार्य योजना के आधार पर एआईसीटीइ से संबद्ध संस्थान उनके क्षेत्र के झीलों तालाबों के सुधार पर मे सक्रिय भूमिका निभायेंगे।