मानव प्रयासों और नवीनतम तकनीकों के समन्वय से मिला रोगी को नया जीवन
एक्मो मशीन बनी जीवनदायनी
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल टर्शिरी केयर सेंटर है यहाँ जटिल से जटिल सफल ऑपरेशन व इलाज को डॉक्टर्स की अनुभवी टीमों द्वारा मल्टीडीसीप्लिनारी अप्प्रोच व नवीनतम तकनीकों के साथ सतत् 15 वर्षों से लगातार किया जा रहा है।
अभी हाल ही में डूंगरपुर के रहने वाले 27 वर्षीय शशिराज (परिवर्तित नाम) ने सेल्फोस खा लिया जिसके कारण उसके हार्ट पर प्रभाव पड़ा जिसकी वजह से किडनी, लीवर, ब्रेन भी प्रभावित हुए, रोगी का बचना नामुमकिन था| रोगी का कार्डियकसाइंसेज़ टीम में हृदय शल्य चिकित्सक डॉ संजय गाँधी, डॉ अनुभव बंसल, डॉ गुरप्रीत सिंह, कार्डियक एनेस्थेसिस्ट डॉ अंकुर गाँधी, डॉ कल्पेश मिस्त्री, डॉ सुमित तंवरी, डॉ के.चरान, डॉ अर्चना देवतरा, ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ रमेश पटेल, डॉ दिलीप जैन, डॉ जय भारत शर्मा, पर्फ्युशनिस्ट प्रदीप हेगड़े, अनीस, नौशीन, सीटी ओटी टीम, जनरल मेडिसिन डॉ वाय.एन वर्मा, आई.सी.यू. इंटनेसिविस्ट डॉ शुभकरन शर्मा, सीटीवीएस आईसीयू टीम, स्टेपडाउन टीम, नेफ्रोलोजिस्ट डॉ जी.के मुखिया, डॉ अनिश बहल के अनवरत प्रयासों से अभी हाल ही में अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त एक्मो मशीन द्वारा सफल इलाज कर उसे स्वास्थ्य जीवन प्रदान किया गया।
विस्तृत जानकारी
डॉ संजय गाँधी ने बताया कि डूंगरपुर के रहने वाले 27 वर्षीय शशिराज (परिवर्तित नाम) ने घरेलू कारणों के चलते सेल्फोस खा लिया, शरीर में जैसे ही ज़हर का असर हुआ तो रोगी का जी घबराने लगा, परिवारवाले रोगी को तुरंत डूंगरपुर के निजी अस्पताल में ले गए| वहां रोगी को प्राथमिक चिकित्सा दी गयी परन्तु रोगी को कोई लाभ नहीं मिला| रोगी का ब्लडप्रेशर निरंतर कम हो रहा था, रोगी को उदयपुर के लिए रेफेर किया गया| रोगी को उदयपुर के अन्य निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया परन्तु वहां भी कोई लाभ नहीं मिला| रोगी को एक्मो मशीन के चलते गीतांजली हॉस्पिटल रेफेर किया गया चूँकि अभी हाल ही में एक्मो मशीन से गीतांजली हॉस्पिटल में गंभीर रोगी की जान बचाई गयी| यह रोगी गत दो सप्ताह पूर्व गीतांजली हॉस्पिटल में आया और तुरंत रोगी को एम.आई.सी.यू में भर्ती किया गया|
रोगी की स्थिति नाज़ुक थी उसे एक्मो मशीन पर डालना ज़रूरी था, रोगी के परिवार की सहमति से उसे एक्मो मशीन पर डाला गया| रोगी को डॉक्टर्स की टीम द्वारा जैसे ही एक्मो मशीन पर लिया और आर्टरी को खोला उसी समय रोगी का हार्ट बंद हो गया| ऐसे में तुरंत शॉक दिया गया व एक्मो केनुला डालकर सर्कुलेशन शुरू किया गया| इसके बावजूद भी रोगी की दिल की धड़कन कम- ज़्यादा होना, हार्ट का बंद होना होता रहा| चूँकि रोगी को एक्मो मशीन पर डाल दिया था, तो हार्ट और लंग संभल चुके थे| रोगी को आई.सी.यू में शिफ्ट किया गया| वहां भी दो दिन तक हार्ट की पम्पिंग में सुधार नही आया, एक्मो मशीन की वजह से रोगी की किडनी, लीवर, ब्रेन, हार्ट को ब्लड सप्लाई व ऑक्सीजन मिलती रही| दूसरे दिन आई.सी.यू में मध्यरात्रि रोगी का हार्ट फिर से बंद हो गया, डॉ संजय गाँधी ने टीम के साथ पुनः रोगी को शॉक दिया व दवा दी रोगी का हार्ट पुनः शुरू हो गया| रोगी की दो दिन पश्चात हार्ट की पम्पिंग में सुधार आया| तीन दिन पश्चात् रोगी को एक्मो मशीन से हटाया गया|
रोगी को एक्मो मशीन से हटाकर पुनः आई.सी.यू में शिफ्ट किया गया| शरीर में ज़हर के कारण किडनी, लीवर, ब्रेन, लंग सब पर इसका असर होता है| रोगी को अब वेंटीलेटर पर रखा गया व सुधार देख रोगी को वेंटीलेटर से हटा लिया गया, पुनः फेफड़ों में दिक्कत होने पर रोगी को वेंटीलेटर पर रखा गया| किडनी से पेशाब कम आने के कारण डायलिसिस के साइकिल भी पूरे किये गए|
डॉ गाँधी ने कहा कि एक्मो मशीन ने रोगी के हार्ट को बचा दिया, हार्ट की पम्पिंग में भी सुधार आ गया, धीरे- धीरे किडनी से भी पेशाब आना शुरू हो गया, लंग्स में भी सुधार हो गया| रोगी की मनोरोग चिकित्सक द्वारा काउंसलिंग भी की गयी| रोगी अब सामन्य हो चुका है, सभी अंग अच्छे से कार्य कर रहे हैं| रोगी को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी है|
डॉ गाँधी ने कहा कि इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से ये सन्देश देना चाहते हैं कि इस तरह के कार्य कभी ना करें चाहे परेशनी कैसी भी हो, मानसिक स्थिति कैसी भी क्यों ना हो, घर व सामज की परिस्थितियां कैसी भी हो इस तरह से ज़हर खाना समस्या का समाधान नही है, इससे परिवारवाले अधिक परेशान हो जाते हैं| उन्होंने ये भी बताया कि सल्फोस जैसे ज़हर को खाने के बाद बचने की संभावना ना के बराबर होती है| परन्तु एक्मो मशीन व गीतांजली हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सभी विश्वस्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध होने के कारण रोगी को स्वस्थ जीवन मिल सका|
गीतांजली ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अंकित अग्रवाल जी ने कहा कि जब एक्मो मशीन को गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया तब ऐसा सोचा कि कभी शायद साल में एक या दो बार ये मशीन काम में आ सकती है परन्तु कुछ ही दिनों में दो गंभीर रोगियों जिनके बचने की संभावना ना के बराबर थी वो दोनों रोगी आज बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं, उसका कारण ये नवीन तकनीकों से बनी एक्मो मशीन ही है| उन्होंने ये भी कहा कि गीतांजली हॉस्पिटल में समयनुसार चिकित्सा क्षेत्र में आने वाली नवीनतम तकनीकों को लाया जाता है और रहेगा, जिसका फायेदा यहाँ आने वाले रोगियों को मिल सके|
जीएमसीएच के सीईओ श्री प्रतीम तम्बोली ने कहा कि जर्मन की अत्याधुनिक तकनीक से युक्त एक्मो मशीन से सफल इलाज हुआ, एक्मो मशीन द्वारा रोगी की जीवित दर पर हमेशा प्रश्नचिह्न रहा है, चूँकि गीतांजली हॉस्पिटल एक टर्शिरी केयर सेंटर हैं यहाँ मल्टीडीसीप्लिनारी अप्प्रोच व नवीनतम तकनीकों के साथ प्रत्येक रोगी का इलाज किया जाता है|