सेवा, संस्कृति एवं संगीत को नयी उचाईयां देने वाले डाॅॅ. यशवंत कोठारी का निधन
मेवाड़ की संस्कृति एवं भारतीय संगीत को महाराणा कुंभा संगीत परिषद के माध्यम से देश-विदेश तक पंहुचाने में अहम योगदान दिया था
बीती रात्रि को एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया।
उदयपुर। शहर में सेवा,संस्कृति एवं संगीत को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नयी उचाईयों तक पंहुचाने वाले 79 वर्षीय डाॅ. यशवन्तसिंह कोठारी का बीती रात्रि को एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया।
उनके निधन से शहरवासियों ने एक सेवाभावी व्यक्तित्व को खो दिया जिन्होंने मेवाड़ की संस्कृति एवं भारतीय संगीत को महाराणा कुंभा संगीत परिषद के माध्यम से देश-विदेश तक पंहुचाने में अहम योगदान दिया था। 14 नवम्बर 1942 को जन्मे डाॅ. कोठारी ने अपने विद्यार्थी जीवन में एग्र्रीकल्चर में स्नात्कोत्तर एवं इसी में डाॅक्टरेक्ट की उपाधि हासिल की। उन्होंने अपने अध्ययन का उपयोग हरित क्रान्ति के लिये किया। जिसका कृषकों को काफी लाभ हुआ। कृषकों को लाभ देने के लिये उन्होंने राजस्थान एग्रीकल्चर डिपो की भी स्थापना की।
निर्धन लोगों की सेवा करने के लिये उन्होेंने रोटरी क्लब उदयपुर की सदस्यता ग्रहण की और उसके बाद उन्होंने उदयपुर संभाग में पोलियो उन्मूलन के लिये कार्यक्रम की शुरूआत की, जिस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ,भारत सरकार एवं रोटरी अन्तर्राष्ट्रीय की ओर से देश में चलाये गये पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम को उन्होंने नेतृत्व प्रदान किया। पोलियो उन्मूलन के लिये उन्हें विभिन्न कमेटियों का सदस्य बनाया गया। पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में अहम योगदान देने के लिये राज्य सकरार ने वर्ष 2000 में पन्द्रह अगस्त को और भारत सरकार ने वर्ष 2014 में राष्ट्रपति का मौजूदगी में विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में सम्मानित भी किया गया। इसी योगदान के चलते वर्ष 2017 में वल्र्ड रिकार्ड इंडिया में नाम दर्ज किया गया।
उनमें शुरू से ही असहाय,निर्धन एवं दिव्यांग बच्चों के लिये कुछ करने जज्बा था और इसी जज्बे को उन्होंने मूक एवं बधिर विद्यालय की स्थापना की। वे पर्यावरण प्रेमी भी थेे। उन्होंने माछला मगरा पहाड़ी पर हजारों पौधे लगाये। पर्यावरण क्षेत्र में डाॅ. कोठारी के योगदान को देखते हुए राज्य सकरार ने 1994 में गणतन्त्र दिवस पर और रोटरी अन्तर्राष्ट्रीय ने अपने सर्वोच्च पुरूस्कार सर्विस अबाॅव द सेल्फ से सम्मानित किया। उन्हें वर्ष 2016 में वृक्षमित्र पुरूस्कार भी प्राप्त हुआ।
भारतीय संगीत को नयी उंचाईंयां देने वाले देश के कलाकारों को शहर में मंच देने एवं शहरवासियों को उनसे रूबरू कराने के लिये महाराणा कुंभा संगीत परिषद की स्थापना की। वर्ष 2016 में तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने उन्हें कला प्रेरक अवार्ड से सम्मानित किया।
निर्धन बच्चों को सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये उन्होंने तुलसी निकेतन विद्यालय की शुरूआत की। जंहा आज सैकड़ों बच्चे गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त कर रहे है। बेरोजगारों को अपनी कला के अनुसार रोजगार उपलब्ध करोन के लिये उन्होंने रोटरी क्लब उदयपुर के सहयोग से एक वोकेशनल ट्रेनिंग सेन्टर भी खोला। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के लिये उन्हें वर्ष 2017 में दिव्यश्री रत्न पुरूस्कार प्राप्त हुआ।
धर्म के प्रति उनकी आस्था थी। तेरापंथ समुदाय के सभी आचार्यो का उन्हें सानिध्य मिला और उनसे मिले मार्गदर्शन का उन्होंने पूरा उपयोग किया और तेरापंथ का पूरा प्रचार प्रसार किया। वे तेरापंथ सभा और मेवाड़ युवक परिषद के अध्यक्ष भी रहें।
डाॅ.कोठारी अपने 50 वर्ष के सेवाकाल में तेरापंथ मेवाड़ कॉन्फ्रेंस, तुलसी निकेतन समिति, रोटरी क्लब उदयपुर, भारतीय लोक कला मंडल, महाराणा कुंभा परिषद, आलोक स्कूल, राजस्थान महिला विद्यालय, अंध विद्यालय,कमल क्लब, विज्ञान समिति, तेरापंथ सभा उदयपुर, तुलसी साधना शिखर राजसमंद, आचार्य भिक्षु आलोक संस्थान केलवा, तुलसी अमृत विद्यालय कानोड़ आदि के साथ सभी संस्थाओं में कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ कार्य किया।
उन्होंने जीवन में युवकों को अपने करियर की ओर ध्यान दिलाने के लिये अपनी उड़ान नामक पुस्तक के अलावा विभिन्न विषयों पर करीब 40 पुस्तकों का लेखन भी किया। वे अपने पीछे पत्नी, पुत्र, पुत्री, पौत्र, पौत्री, दोहित्रियों का भरपूरा परिवार छोड़़ गये है। उनके निधन हो जाने से उनसे जुड़ा हर एक व्यक्ति आज स्तब्ध था।