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उदयपुर के छोटे से गांव के हितेश बने आईएफएस (IFS): देश में दसवीं रैंक

प्रतिदिन 6 से 8 घंटे पढ़ने का नियम नही टूटने दिया

 

भारतीय वन सेवा (आईएफएस) में चयनित उम्मीदवारों की सूची में हितेश की देश में 10वीं रैंक है। हितेश शहर से सटे कानपुर गांव के किसान दयालाल सुथार के बेटे है।

5वें अटेंप्ट में आईएफएस में देश में 10वां स्थान प्राप्त किया

हितेश वर्ष 2016 से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। इससे पहले चार अटेंप्ट दिए और चारो बार असफल रहे। अब 5वें अटेंप्ट में आईएफएस में देश में 10वां स्थान प्राप्त किया। इसके लिए हितेश पिछले साढ़े 6 साल से लगातार 6 से 8 घंटे पढ़ाई करते रहे। इसके लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरह के कंटेंट का सहारा लिया। हितेश बताते है की 4 साल तक एक निजी कंपनी में जॉब की और इस दौरान प्रतिदिन 6 से 8 घंटे पढ़ाई करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन नियम नही टूटने दिया। परिजनों ने साल नवंबर 2019 में शादी भी करा दी, लेकिन पढ़ाई पर असर नही पढ़ने दिया।

पिता की सीख से हौसला मिला

हितेश बताते है की पिता दयालाल सुथार हमेशा यही कहते थे की असफलता ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। असफलता से डरने की जरुरत नही है,एक दिन सफलता ज़रूर मिलेगी। यही हौसला काम आया और इसी की बदौलत सफलता हासिल की।

सीटीएई से इंजीनियरिंग, चार साल पायरोटेक में जॉब, अब सभी को नाज

हितेश ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूटी) के संघटक सीटीएई से साल 2012 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके बाद चार साल पायरोटेक कंपनी में डिजाइनिंग इंजीनियरिंग का जॉब किया। सुबह 10 से शाम 6 बजे तक जॉब के बाद कभी रात तो कभी दिन में 6 से 8 घंटे तक पढ़ाई की। ऐसे में न मित्रों को समय दे पाते थे, न परिजनों को।

वे बताते है की दोस्तों से सप्ताह में एक बार फ़ोन पर बात करता और बोलता- जब मेरा यूपीएससी में चयन हो जाएगा तब आराम से साथ बैठकर बातें करेंगें। साल 2019 में शादी होने के बाद परिवार को पूरा समय नही दे पाया, लेकिन पत्नी अंजना सुथार ने पूरा सहयोग किया। हितेश की इस उपलब्धि पर आज न सिर्फ उनके परिवार को,बल्कि पुरे गावं को नाज है,क्योंकि कानपूर गांव से पहली बार किसी युवा का चयन यूपीएससी से हुआ है।