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सूक्ष्म चन्द्रयान -3 का मॉडल बना कर विश्व रिकॉर्ड किया अपने नाम

इन कलाकृतियों के मॉडल इसरो के वैज्ञानिकों को भेंट किया जाएगा

 

उदयपुर। डा. इकबाल सक्का का नाम तो आपने सुना होगा। ये ऐसे शिल्पकार हैं। जिनके नाम 100 विश्व रिकॉर्ड है। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत सक्का ऐतिहासिक सूक्ष्म चीजें बनाने के माहिर खिलाड़ी हैं। इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से चन्द्रयान-3 लॉंच करने और चांद पर सफलतापूर्वक उतरने की खुशी में उन्होंने लैंस से देखे जाने वाले सूक्ष्म चन्द्रयान -3 का मॉडल बनाया है। आपको बता दें कि ये चन्द्रयान विश्व का सबसे छोटा चन्द्रयान बनाया गया है।

डा.सक्का ने बताया कि सोने से बना ये चंद्रयान-3 का मॉडल जिसकी साइज 2 मिलीमीटर चांद 1 मिनी व तिरंगा झंडा आधा मिलीमीटर का है। ये इसरो के वैज्ञानिकों को भेंट किया जाएगा। इस कलाकृति को उन्होंने होप इंटरनेशनल वल्र्ड रिकॉर्ड को भेजा। इस संस्था ने इसे वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल कर सक्का को प्रमाण पत्र जारी किया है। होप इंटरनेशनल रिकॉर्ड के भारतीय कार्यालय के चीफ एडिटर डॉक्टर अहमद शेख ने सक्का को सर्टिफिकेट और स्वर्ण पदक प्रदान किया है।

बनाने में लगे तीन दिन

आपको बता दें कि विश्व की सबसे छोटी इन कलाकृतियों के मॉडल इसरो के वैज्ञानिकों को भेंट किया जाएगा। इसको लेकर सक्का ने राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। सक्का ने बताया कि इसे बनाने में 3 दिन का समय लगा है। इन कलाकृतियों का वजन जीरो मिलीग्राम है। ये इतनी हल्की है कि इसका वजन भी नहीं आ रहा है।

उम्र के इस पड़ाव इकबाल के नाम हैं 100 से ज्यादा विश्व रिकॉर्ड
उदयपुर शहर की सब्जी मंडी के पास ओडपाड़ा मोहल्ले के निवासी डा. इकबाल सक्का छोटी चीजें बनाने में माहिर हैं। उन्होंने इसके माध्यम से सौ से अधिक विश्व रिकॉर्ड कायम किए हैं। 60 वर्षीय सक्का ने चीनी के दाने से भी छोटा बैग बनाया। जिसने अमरीका का भी रिकॉर्ड तोड़ा। यही नहीं सबसे छोटी केतली बनाकर कई देशों का रिकॉर्ड तोडऩे में भी इकबाल सफल रहे। इनमें सबसे खास बात भारत के संविधान की है। सक्का ने चर्मपद पर भारत के संविधान को गजल के रूप में लिखकर भी नया कीर्तिमान बनाया।

छोटी वस्तुएं बनाने पर करते हैं काम

उदयपुर के शिल्पकार सक्का छोटी वस्तुएं बनाने पर काम करते हैं। उन्होंने रेत के कण से भी छोटा सोने का तिरंगा झण्डा बनाया है। जिसका नाम दिया है भारतीय करिश्माई तिरंगा झंडा। यह इतना छोटा है कि जब वजन के लिए रखा तो कोई वजन ही नहीं आया। इसमें 12 नंबर की सुई जिसमें धागा डालना आसान नहीं, उसके छेद में से भी तिरंगा झण्डा निकल जाता है।