मेवाड़ी पगड़ी बनी अमेरिका की मैगजीन की शान
उदयपुर के लोचन-निशा ने दिलाया मेवाड़ को गौरव
प्रतिमाह छपने वाली यह मैगजीन अमेरिका के मिड वेस्ट (शिकागो, विस्कोसिन) में अत्यधिक प्रचलित है।
उदयपुर 7 अप्रैल 2021 । हिन्दुस्तानी संस्कारित व्यक्ति चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए, देश से परदेस चला जाए तब भी वह अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है। अपनी मिट्टी की खुशबू, आबोहवा, वातावरण, वेशभूषा सभी से दूर रहकर भी रोमांचित करते हैं और अपनी संस्कृति व परंपरा को जीवित रखते हुए उसका सम्मान करते है।
अमेरिका के शिकागो में रहने वाले उदयपुर के मूल निवासी लोचन पण्ड्या जो पत्नी डॉ. निशा पण्ड्या पुत्र राघव और पुत्री विदुषी के साथ मेवाड़ को गौरव दिला रहे है। उनकी उपलब्धियों को देखकर जब पूरे परिवार की फोटो को अमेरिका की मैगजीन ‘ द फाल्स‘ के अप्रेल माह के अंक में कवर पेज के लिए चुना गया तो उन्होंने इस मौके पर राजस्थानी पगड़ी और पारम्परिक परिधान पहनकर मेवाड़ के गौरव को बढ़ाते हुए इसी वेशभूषा को पहनने का निश्चय किया। इस पत्रिका के मुख पृष्ठ पर न सिर्फ इस परिवार को मेवाड़ी पगड़ी के साथ फोटो छपा है अपितु इसके भीतरी दो पृष्ठों में परिवार की उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी गई है।
प्रतिमाह छपने वाली यह मैगजीन अमेरिका के मिड वेस्ट (शिकागो, विस्कोसिन) में अत्यधिक प्रचलित है। और इसके कवर के लिए एसे परिवारों का चयन होता है जिन्होंने समाज ओर समुदाय के लिए विशिष्ट कार्य करके उपलब्धियाँ पाई हो ।
इन उपलब्धियों से दिलाया गौरव
लोचन पण्ड्या ने बताया कि अमेरिका में आयोजित होने वाले वर्ल्ड कल्चरर फेयर, इंडियाफेस्ट, रेडियो पानीपुरी, हिन्दू टेम्पल, चर्च फेस्टीवल जैसे कई कार्यक्रमों में परिवार के साथ प्रतिभागिता करते हैं। हाल ही में डॉ. निशा पण्ड्या को हिंदी सेवा सम्मान से भी सम्मानित किया गया। निशा महिला काव्य मंच संघ की अध्यक्ष होने के साथ ही हिंदी क्लब ओफ इल्लिनोय की सदस्या भी है। एक लेखिका होने के साथ ही वह भारतीय संगीत, नृत्य व हिंदी भाषा का प्रशिक्षण भी देती हैं।
भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में जानी जाती है। इसी का उदाहरण देते हुए डॉ. निशा ने बताया कि इण्डियाफेस्ट की मुख्य वेबसाइट पर भी लोचन और निशा की पारम्परिक परिधान में फोटो है। साथ ही अमेरिका के स्कूल डिस्ट्रिक्ट के वेबसाईट पर इनकी पुत्री विदुषी की फोटो भी राजस्थानी परिधान में उपलब्ध है। यह परिवार प्रतिमाह एक कार्यक्रम आयोजित करके भारतीय संस्कृति, भाषा, संगीत, कविता, तबला वादन, नृत्य के इच्छुक बच्चों को प्रोत्साहित करते है। कई अमेरिकन भी इन कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।