'मैं अपने परिवार की विरासत को आगे बढाकर बहुत ही सम्मानित महसूस करता हूँ', नबील खान
मल्टी टैलेंटेड नबील खान जो विश्व के सबसे कम उम्र के स्थापित सारंगी प्लेयर, कंपोजर, सिंगर और सांग राइटर है वह अपने परिवार में सारंगी आर्टिस्ट की आठवीं जनरेशन है और वह सारंगी सम्राट पद्म भूषण से नवाजे जाने वाले उस्ताद साबरी खान साहब के पोते है।
नबील खान ने भारतीय क्लासिकल कल्चर को सारंगी इंस्ट्रूमेंट के साथ प्रमोट करने के लिए पहली और सिर्फ इकलौती अकादमी 'सारंगी कल्चरल अकादमी' शुरू की
सारंगी प्रोडिजी नबील खान बेहद खुश है क्यूंकि उन्हें अपने परिवार की म्यूजिक लिगेसी को आगे बढ़ाने का मौका मिल रहा है। वह अपने आप को बहुत ही सम्मानित और गर्वित महसूस कर रहे है क्यूंकि उन्हें अपने दादाजी की 80 साल पुरानी ट्रेडिशनल मुरादाबाद सैनिया घराने की सारंगी बजाने का मौका मिल रहा है।
मल्टी टैलेंटेड नबील खान जो विश्व के सबसे कम उम्र के स्थापित सारंगी प्लेयर, कंपोजर, सिंगर और सांग राइटर है वह अपने परिवार में सारंगी आर्टिस्ट की आठवीं जनरेशन है और वह सारंगी सम्राट पद्म भूषण से नवाजे जाने वाले उस्ताद साबरी खान साहब के पोते है।
नबील ने कहा, "मेरे लिए यह सम्मान की बात है कि मुझे अपने दादाजी की 80 साल पुरानी ट्रेडिशनल मुरादाबाद सैनिया घराने की सारंगी बजाने का मौका मिल रहा है। किसी भी म्यूजिशियन के लिए अपने परिवार की लिगेसी आगे बढ़ाना ख़ास तौर पर म्यूजिक लिगेसी को आगे बढ़ाना बहुत ख़ास बात होती है। यह मेरे लिए सिर्फ एक इंस्ट्रूमेंट नहीं है बल्कि यह उनकी कला, संस्कृति, विरासत, इतिहास, मेहनत और लगन, सब कुछ है।"
उन्होंने आगे कहा ,"मैं सारंगी की लिगेसी को पूरी लगन के साथ प्रमोट करना चाहता हूँ और अपने बड़ो की दुआओं के साथ मैं विश्व का सबसे उम्दा इंस्ट्रूमेंटलिस्ट बनना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ की लोग समझे, सारंगी एक बहुत ही सुन्दर इंस्ट्रूमेंट है जो टाइमलेस है और जिसे आज की मॉडर्न एज के हिसाब से भी बजाया जा सकता है।"
नबील खान की नसों में संगीत बहता है। उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही संगीत की तालीम लेना शुरू कर दिया था और जल्दी ही वह सारंगी बजाने में माहिर हो गए थे। उन्होंने भारतीय क्लासिकल कल्चर को सारंगी इंस्ट्रूमेंट के साथ प्रमोट करने के लिए पहली और सिर्फ इकलौती अकादमी 'सारंगी कल्चरल अकादमी' शुरू की। नबील अपनी ज़िन्दगी में पढाई और अपने संगीत के सफर में बैलेंस बनाने के लिए अपनी माँ को श्रेय देते है। उन्होंने बताया,"अगर मेरी माँ नहीं होती तो मैं एक साथ अपनी पढाई और सारंगी बजाना नहीं सीख पाता।"
समय और अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोज़र की वजह से भारत में संगीत को लेकर काफी बदलाव आ गया है और नबील ने पहले ही इसको भांप लिया था और उसी हिसाब से उन्होंने अपने आप को ढालने की कोशिश की। उनके सोशल मीडिया और यू ट्यूब पर काफी फॉलोवर्स है और उन्होंने आज की जेनेरशन को प्रभावित करने के लिए 'लेट अस लर्न सारंगी' नाम से काफी फ्यूज़न सांग वीडियो और कंसर्ट्स किये है।
उनका डेब्यू ओरिजिनल गाना 'जानेजान' जिसमे भारतीय क्लासिकल संगीत को सारंगी और वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स के साथ बजाया गया है, उसने लोगों के दिलों को काफी हद तक छू लिया है ।
'लेट अस लर्न सारंगी' ऐसा ही एक इनिशिएटिव है जिसमे पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कुछ बेसिक वीडियो के माध्यम से भारतीय संगीत की क्लासिकल नॉलेज लोगों को देना शुरू किया।
नबील ने बताया,"मेरे लिए सारंगी के माध्यम से भारतीय संगीत में फ्यूज़न लाना एक बहुत ही रोमांचक अनुभव होता है।
जानेजान के बाद नबील का अगला गाना 'जज़्बात दिल के ऐसे' जिसे बुलमैन रिकॉर्ड लेबल ने रिलीज़ किया है, काफी हिट हुआ है। गाने को उसके म्यूजिक और लिरिक्स के लिए पसंद किया गया है। और अब आने वाले महीनो में वह काफी कुछ नया रिलीज़ करने वाले हैं।