35 साल पहले ही उदयपुर में "मेक इन इंडिया" की शुरुआत करने वाले पियूष सिंघल पर उदयपुर टाइम्स की खास रिपोर्ट
1933 में जन्में पियूष सिंघल ने 1986 में लिपि डाटा सिस्टम्स शुरू की थी
उदयपुर टाइम के पीपल ऑफ उदयपुर (People of Udaipur) की कड़ी में आज हम आप को रुबरु करवाने रहे है उदयपुर की एक ऐसी हस्ती से जिन्होंने करीब 35 साल पहले ही “मेक इन इंडिया” की शुरुआत करते हुए देश की इलेक्ट्रोनिकस जगत में क्रांति ला दी थी, जी हाँ हम बात कर रहे है शहर के एक लीडिंग कॉर्पोरेट हाउस लिपी डेटा के फाउंडर स्वर्गीय पियूष सिंघल की। मौका है पियूष सिंघल मार्ग की घोषणा का जो की सिंघल परिवार और उनकी कंपनी में कार्यरत सैंकड़ो कर्मचारियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि का क्षण है।
उदयपुर टाइम्स ने सबसे पहले कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटीव् ऑफिसर (CEO) एवं स्वर्गीय पियूष सिंघल के सबसे करीबी माने जाने वाले लोगो में शुमार कृष्ण गोपाल गुप्ता से मुलाकात की, जिन्होंने सिंघल साहब के साथ उनके शरुआती दौर में सबसे ज्यादा समय गुजारा है।
कृष्ण गोपाल गुप्ता ने स्वर्गीय पियूष सिंघल के बारे में बात करते हुए कहा की वो एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व थे, न सिर्फ उद्योग बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों आदी में भी उनका हमेशा से रुझान रहता था। उनका हमेशा ये मानना रहा की मुझे मेन्यूफेक्चारिंग करनी है, इंडस्ट्री चलानी है न की सिर्फ ट्रेडिंग करनी है।
गुप्ता ने कहा सिंघल हमेशा मानते थे की चाहे कैसी भी परिस्थिति हो उन्हें हर हाल में इंडस्ट्री को जिन्दा रखना है। गुप्ता ने कहा की सिंघल ने सरकार के स्लोगन मेक इन इंडिया पर आज से लगभग 35 साल पहले ही ये सपना देखा था की इंडिया “मेन्यूफेक्चारिंग हब” बने। उन्होंने बताया की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जब देश में कंप्यूटर क्रांति की शुरुआत की थी तब उदयपुर में कंप्यूटर से जुडी पहली इंडस्ट्री पियूष सिंघल साहब द्वारा ही शुरू की गई थी।
गुप्ता ने कहा की अगर कर्मचारियों के प्रति सिंघल साहब के व्यवहार की बात की जाए तो सभी को गर्व है की उन्हें सिंघल साहब जेसे हस्ती के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने हमेशा हमें परिवार की तरह ही देखा और परिवार का सदस्य माना। कोई भी विषम परिस्तिथि होती तो वह हमेशा साथ खड़े रहते। सभी के साथ वह सहजता से घुलमिल जाते थे, जब भी किसी कर्मचारी से मिलते थे तो पहले परिवार के बारे में पूछते, स्वास्थ के बारे में पूछते उसके बाद में काम की बात करते थे। वो सभी को कहा करते थे की में आपको करोड़पति तो नहीं बना सकता लेकिन आपको भूखा नहीं मरने दूंगा।
गुप्ता ने कहा की पियूष साहब के बाद उनके बड़े बेटे मुकुल सिंघल ने कंपनी की कमान संभाली थी, लेकिन उनके असमय मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई समीर सिंघल और बेटे ऋषभ और यश सिघल उनकी कंपनी को आगे बढ़ा रहे है।
गुप्ता ने कहा की अमूमन देखा जाता है की कंपनी के मेनेजमेंट और यूनियन की आपस में खीचा तानी रहती है लेकिन लिपी का वातावरण इतना सहज है की यूनियन भी हमारे परिवार की तरह ही है, और इसके पीछे कहीं न कहीं पियूष सिंघल साहब के द्वारा दिए गए संस्कार ही है जो आज उनका हर कर्मचारी भाईचारे से साथ मिलकर कंपनी को आगे बढाने का प्रयास करता है।
इस मोके पर स्वर्गीय पियूष सिंघल के बेटे और वर्तमान ने उनकी कंपनी लिपी डेटा की चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर समीर सिंघल ने उदयपुर टाइम्स की टीम से बात की और अपने पिता और उनकी जिंदगी से जुडी कुछ यादें साँझा की। समीर सिंघल ने बताया की उनके पिताजी पियूष सिंघल का जन्म 5 दिसम्बर 1933 को आगरा के एक परिवार में हुआ था। उनके 8 भाई बहन थे और वो 7वे नंबर की संतान थे जिनमे उनके 6 भाई थे और एक बहन थी।
समीर सिंघलने बताया कि उनके पिता की प्राथमिक स्कूली शिक्षा उदयपुर से हुई और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उदयपुर से एक ट्रांसपोर्ट कंपनी से शुरू की। उनकी शादी भी उदयपुर में ही हुई थी। उस समय उनके बड़े भाई भी उदयपुर में थे और उन्होंने ही उनके पिता को फेमिली बिजनेस ज्वाइन करने को कहा था,तो उस समय परिवार के 3 लोगों ने मिलकर बिजनेस की शुरुआत की थी।
उन्होंने कहा हम अपने पिता को अलग अलग लोगों से मिलते हुए और बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए देखते हुए बड़े हुए। और इसमें सब से ज्यादा एडमायर करने वाली बात ये थी की वो कभी भी फेक्ट्री के सब से निचले तबके या पोजीशन पर काम करने वाले कर्मचारी से भी आसानी से बात कर लिया करते और उसकी बात को सुनते।
समीर ने कहा की उनके पिता खुद में ही एक ऑथोरिटी थे, उनके पास अच्छा सेन्स ऑफ़ ह्यूमर था, एक अच्छी पर्सनेलिटी थी और उनके अपना काम करवाना भी उन्हें अच्छे से आता था।
पिता के रूप में स्वर्गीय पियूष सिंघल साहब केसे थे?
मुस्कराते हुए इस सवाल का जवाब देते हुए समीर सिंघल कहा कि जैसे सब के पिता होते है, यानि की एक दम सख्त। समीर ने कहा की उनके भी 4 भाई बहन है और भाई बहनों में वह सबसे छोटे है। और सबसे छोटा होने से वो अपने पिता के शायद सबसे करीब थे, लेकिन सभी को बराबर संस्कार दिए गए थे, सभी को सही से अपनी जिम्मेदारियां बताई गई थी चाहे वो पैसे की बात हो या फिर लोगों से व्यहवार की।
समीर सिंघल ने बताया कि की वो एक उद्यमी थे और लिपी डेटा की शुरुआत उन्होंने 1986 में की थी जो की उनकी तीसरी कंपनी थी, एक बिजनेज वह अपने भाइयों के साथ चलाते थे, और बाद में एक पेस्टीसाईड फोर्म्युलेशन बिजनेस उन्होंने आगरा में भी शुरू की थी। और ऐसे देखा जाए तो उनके पिता की कम्पनी लिपी मेक इन इंडिया पिछले लम्बे समय से कर रही है जिसमे प्रिंटर्स, कियोस्क आदि प्रोडक्ट मेन्यूफेक्चर किये जाते है।
देश की एक लीडिंग कंपनी के सीएमडी होने के नाते आप युवाओ को क्या सन्देश देना चाहते है?
समीर सिंघल ने कहा की कड़ा परिश्रम करें और काम करते जाएँ, हमेशा सच्चाई से रूबरू रहे ख्यालों की दुनिया में न खोएं, सफल पाने के लिए सिर्फ सोचना नहीं बल्कि आपको बाहर निकलना होगा। अपने लक्ष्य की पाने के लिए दिल जान से मेहनत करनी होगी। ये एक हमेशा बढ़ते जाने वाला सफ़र है और इस सफ़र में आने वाली चुनोतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते जाना होगा।