उदयपुर जेल में बंद रवि दूदानी बन गया रॉकस्टार
ना जाम हाथों में, न पिलाने को साकी है, पर जीना है अभी, क्योंकि जिंदगी बाकी है.......
सफलता की कहानी - विचाराधीन कैदी लिख रहा है अपनी ‘कहानी'
‘मेरी कहानी-अंतर्मन से' यही नाम रखा है करोड़ों की प्रतिबंधित नशीली दवाओं के आरोप में न्यायिक हिरासत में चल रहे उदयपुर के रवि दूदानी ने अपनी जेल डायरी का। चार साल से उदयपुर सेंट्रल जेल में विचाराधीन कैदी रवि ने इसी साल 8 मार्च से अपनी जेल की जिंदगी को लिखना शुरू किया है। 44 साल के रवि की जेल डायरी ‘मेरी कहानी-अंतर्मन से' आधारित है उनके अब तक के जेल जीवन पर जिसे वह सफर के रूप में देखता है-सफर बदलाव का।
जाने कहां गए वो दिन
उदयपुर सेंट्रल जेल में रवि को अपनी पिछली जिंदगी बहुत याद आती है। जैसा कि वो अपनी जेल डायरी की शुरुआत में लिखता है- ‘ना जाम हाथों में, न पिलाने को साकी है, पर जीना है अभी, क्योंकि जिंदगी बाकी है। ' ये पंक्तियां वैसे तो लम्बे जेल जीवन को चरितार्थ करती है। यूं तो जेल के बारे में सोचना या जेल में रहना अपनेआप में एक चुनौती है, और लम्बा समय रहना तो बहुत ही कठिन है। जेल में लम्बे समय रहते हुए इंसान अपना बहुत कुछ खो देता है, खासकर दिमागी संतुलन, पर आपको पढ़कर थोड़ा आश्चर्य जरूर होगा पर यह सच है कि जेल में रहते हुए शायद मैंने कुछ पाया है।‘
जेल बैंड में बना गिटारिस्ट
जेल में रवि दूदानी ’रॉक स्टार’ बन गया है। उदयपुर सेंट्रल जेल के म्यूजिक बैंड ‘आउट ऑफ द बॉक्स‘ में अब दूदानी लीड गिटारिस्ट है। उदयपुर में फरवरी, 2020 में आयोजित वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल में जेल यूनिवर्सिटी बैंड ने परफॉर्म किया, जिसमें गिटारिस्ट की भूमिका दूदानी ने अदा की थी। जेल से रिहा होने के बाद भी दूदानी संगीत के क्षेत्र में ही कुछ करना चाहता है। दूदानी ने बताया कि जेल से रिहाई के बाद म्यूजिक और सिंगिंग के फील्ड में कुछ करना चाहता हूं। जेल में दूदानी कविताएं और गीत भी लिखने लगा है।
जीना सिखाती है जेलः दूदानी
दूदानी ने अपनी जेल डायरी में लिखा है, जेल में मुझे रहते हुए अब चार वर्ष से अधिक का समय हो चुका है, जेल क्यों आया यह सवाल शायद यहां रहने से भी कठिन है। मुझे जेल आने का अफसोस नहीं है, अफसोस है जेल में आने के कारणों का। अब यहां आकर जीना सीखा है। जेल रूपी जिंदगी के अल्पविराम ने शायद जीना सिखा दिया, क्योंकि- जेल ही है जो शायद जीना सिखाती है, अपने और अपने होने का फर्क बताती है।
जेल देर से आने का अफसोस
बचपन से ही बड़ों के मुंह से सुना था कि भगवान जो भी करता है अच्छे के लिए करता है। जब जेल आया तो सबसे पहले दिमाग ने यही सवाल किया कि, भला इसमें भी कोई भला हो सकता है? साथ ही यह भी सोचता हूं कि भाग्य में अगर जेल आना ही लिखा था तो थोड़ा जल्दी क्यों नहीं आया, शायद थोड़ा पहले आया होता तो बाहर जाने के बाद जिंदगी ज्यादा बचती अच्छे से जीने के लिए।
जेल में संगीत की जुगलबंदी
नशीली दवाओं के कारोबार के आरोप में रवि दूदानी के साथ चार्टेड अकाउंटेंट परमेश्वर व्यास और संजय भी विचाराधीन कैदी के रूप में उदयपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। परमेश्वर व्यास को दूदानी अपना संगीत गुरु मानता है और एक अन्य कैदी प्रियांक कश्यप को अपना गिटार गुरु। प्रियांक ने ही रवि को गिटार बजाना सिखाया। इसके लिए रवि ने अपनी जेल डायरी में राज्य सरकार, जेल प्रशासन और शिक्षांतर समूह का आभार व्यक्त किया है।