×

उम्र से तीन गुना ज़्यादा डिग्री एव डिप्लोमा है इनके पास - उदयपुर के डॉ अरविंदर का तीसरा विश्व रिकार्ड

तीन वर्ल्ड रिकार्ड हासिल करने वाले वे पहले भारतीय डॉक्टर बने हैं
 
लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में अपना नाम तीसरी बार दर्ज किया है।

Arth ग्रुप के CEO डॉ. अरविंदर ने अपना तीसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर सबको आश्चर्यचकित दिया है। जहां आम लोग जीवन में एक विश्व रिकॉर्ड बनाने के बारे में सोच भी नहीं पाते हैं, वहाँ डॉ अरविंदर ने तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिए हैं। 168 डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल कर उन्होंने न सिर्फ अपना नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में तीसरी बार दर्ज करवाया है, बल्कि अपने 123 डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट के पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। राजस्थान के उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेम चंद बैरवा ने डॉ अरविंदर सिंह को उनके तीसरे वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए बधाई देते हुए उन्हें सम्मानित किया।  

53  वर्षीय डॉ.अरविंदर के पास उनकी उम्र की तीन गुना से अधिक डिग्रीज, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हैं। डॉक्टर अरविंदर ने 168 डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट, वर्ष 1989 से 2024 के बीच अथक प्रयासों से की गई पढ़ाई और नॉलेज अर्जित कर हासिल की हैं। उनकी डिग्रीज़ ही उनकी नॉलेज और एक्सीलेंस का परिचायक हैं। डॉ अरविंदर सिंह पहले ऐसे डॉक्टर हैं, जिनको मेडिकल साइंस के अलावा मैनेजमेंट, कानून विशेषज्ञ, कॉस्मेटोलॉजी, कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजी, डिजीटल मार्केटिंग में भी महारत हासिल है। 168 डिग्री, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट में 94 एकेडमिक और 74 नॉन एकेडमिक सम्बन्धित विषय है।

पिछले दिनों ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, लंदन और ब्रिटेन पार्लियामेंट में उन्हें चिकित्सा तथा  शिक्षा के क्षेत्र में किए गए बेहतरीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया था। उस समय भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्लेटफॉर्म पर उनकी उपलब्धियों को सराहा गया था। डॉक्टर अरविंदर को  अभी हाल  ही में एशिया बिज़नेस कॉन्क्लेव सिंगापुर में 'ग्लोबल मास्टर माइंड ' तथा भारत में 'बेस्ट ऑफ़ 100  इंडियंस' की उपाधि भी दी गई।  डॉ अरविंदर चिकित्सा विशेषज्ञता, चिकित्सा कानून और व्यावसायिक कौशल का एक अनूठा मिश्रण हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड, यूके, अमेरिकन एसोसिएशन, स्वीडन, कनाडा, इजराइल आदि देशो से विभिन्न विषयो में महारत हासिल की है।
 
2022 में पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड

डॉअरविंदर सिंह ने 2022 में सर्वाधिक 123 डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट हासिल का पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, इसके बाद उन्होंने 2023 में शिक्षा से बिलकुल अलग रोमांचकारी विश्व रिकॉर्ड बनाकर सबको चौका दिया था। उन्होंने शरीर की 80 प्रतिशत विकलांगता होने के बावजूद जुलाई 2023 में विपरीत मौसम के बीच लेह-लद्दाख के खतरनाक खारदूंगला दर्रा (Khardungla Pass) को क्वाड बाइक (Quad Bike) से पार कर दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। अब 2024 में अपने सर्वाधिक डिग्री के पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़कर डॉ अरविंदर ने 168 डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट के साथ तीसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

उन्होंने 2009 में IIM Indore से टॉप करने वाले भारत के प्रथम  एवं एकमात्र डॉक्टर होने  का गौरव प्राप्त किया था। 2008 में उन्होंने स्कॉटलैंड से 90 लाख रूपए पैकेज का जॉब ऑफर छोड़कर भारत में काम करने का फैसला लिया और नॉलेज के दम पर आगे बढ़ते चले गए।वर्ष 2002 में इनोवेटिव आईडिया केटेगरी में उनको देश के टॉप टेन बिज़नेस इंटरप्रेन्योर का खिताब भी मिला था। डॉक्टर सिंह ने शिक्षा क्षेत्र के अलावा पिस्टल निशानेबाजी में गोल्ड मैडल प्राप्त किया हुआ है और स्कूबा डाइविंग का रिकॉर्ड भी बनाया हुआ है। साथ ही, उन्होंने बिजनेस लीडर अवॉर्ड जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी हासिल की हुई हैं। डॉ अरविंदर अंतराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म TEDx पर दो बार बतौर स्पीकर आमंत्रित हो चुके हैं, जो देश के लिए एक गौरव की बात है।

एक बेंचमार्क अचीव करते ही सेट कर लेता हूं अगला बेंच मार्क

डॉ अरविंदर सिंह ने सफलता का राज बताते हुए कहा कि वे कभी दूसरों के साथ खुद की तुलना नहीं करते। वे खुद के लिए एक बेंचमार्क सेट करते हैं, और जैसे ही वह बेंचमार्क अचीव कर लेते हैं, तो वहीं ठहर जाने के बजाए नया बैंच मार्क तय कर लेते हैं। इससे उन्हें न सिर्फ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, बल्कि वे हर दिन कुछ नया सीखते और करते हैं।

हर चीज को जानने-सीखने की ललक

तीसरे  वर्ल्ड रिकॉर्ड पर खुशी जाहिर करते हुए डॉक्टर अरविंदर सिंह ने कहा कि सीखना एक जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने बताया की वे जब भी किसी विषय पर ज्ञान अर्जित करने के बारे में सचते हैं, तो उससे संबंधित इंस्टीट्यूट के ज़रिए ही सीखते हैं, ताकि उस विषय के बारे में सही और सटीक नॉलेज मिल सके। हर चीज जानने-सीखने की ललक और सही प्लेटफॉर्म के जरिए सीखने की आदत ने ही उन्हे यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने में मदद की है। यही कारण है कि उनकी डिग्री-डिप्लोमा में विषय संबंधित काफी विविधता हैं। डॉ अरविंदर ने कहा शिक्षा के क्षेत्र में देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में काफी खुशी मिलती है।