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पायलट की नयी पार्टी की सम्भावना पर ब्रेक

नयी पार्टी के गठन के लिए आवेदनकर्ता को नियमानुसार शपथ पत्र देना पड़ता है कि वे किसी भी अन्य राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं जबकि पायलट अभी भी कांग्रेस में बने हुए है 

 

राजस्थान में दौसा में आज सचिन पायलट ने शहर के गुर्जर छात्रावास में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था जहाँ उन्होंने स्वर्गीय राजेश पायलट की मूर्ति का अनावरण भी किया। 

सचिन पायलट के इस आयोजन की चर्चा पहले से राजस्थान से लेकर दिल्ली तक थी। चर्चा इस बात पर थी कि क्या सचिन पायलट आज कोई नयी पार्टी लांच करने वाले है या किसी अन्य पार्टी का दामन थामने वाले है लेकिन पायलट और उनके समर्थको द्वारा बड़ा सियासी ऐलान करने की संभावनाओं पर भी पूरी तरह ब्रेक लग गया है। पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे पायलट के समर्थक कृषि विपणन राज्यमंत्री मुरारीलाल मीणा ने कहा "ऐसी बातें सिर्फ अफवाह है, यहां सिर्फ श्रद्धांजलि सभा होगी।"

आज सुबह करीब 10 बजे सचिन पायलट दौसा के भंडाना पहुंचे। यहां राजेश पायलट के स्मारक पर उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित की और प्रार्थना सभा में शामिल हुए। राजेश पायलट की 23वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में कैबिनेट मंत्री परसादीलाल मीणा, प्रतापिसंह खाचरियावास, ममता भूपेश, मंत्री हेमाराम चौधरी, मुरारीलाल मीणा, बृजेंद्र ओला के साथ विधायक ओमप्रकाश हुडला, मुकेश भाकर सहित राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी, नसीम अख्तर, पूर्व विधायक नवीन पिलानिया, खिलाड़ी राम बैरवा भी राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।  

पूरे आयोजन में सचिन पायलट ने न तो नयी पार्टी की घोषणा की और न ही कोई सियासी एलान किया हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर कहा की "मैंने जो आवाज उठाई है, उससे पीछे हटने वाला नहीं हूं। हम किसी पद पर हों या न हों, जनता हमेशा तौल कर रखती है कि कहते क्या थे, करते क्या थे? मेरे लिए जनता की विश्वसनीयता सबसे बड़ी पूंजी है। मैंने कभी ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे इस विश्वास में कमी आ सके। आगे भी नहीं आने दूंगा।"

अब सवाल यह उठता है की चर्चा का विषय बने इस आयोजन में सचिन ने कोई एलान क्यों नहीं किया ? क्या सचिन ने सारे हालात भगवन की मर्ज़ी पर छोड़ दिया या इसकी कोई और वजह है। पायलट के यह कहना की "हर गलती सजा मांगती है। आपस में कैसे भी संबंध हों, सबसे बड़ा न्याय नीली छतरी वाला देता है। आज नहीं तो कल न्याय जरूर मिलेगा।"

शायद इसलिए आगे नहीं बढे पायलट के कदम 

सचिन पायलट ही नहीं पूरे राजस्थान में किसी ने पिछले एक साल में केंद्रीय चुनाव आयोग (दिल्ली) में नई पार्टी रजिस्टर्ड नहीं की है। पिछले 20 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब चुनावी साल में किसी राजनीतिक पार्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। इससे पहले साल 2003, 2008, 2013 और 2018 में किसी ने किसी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन इस बार 2023 के 5 महीने बीत चुके हैं, लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। आम तौर पर आवेदन के बाद चुनाव आयोग 3 से 4 महीने का समय लेकर ही रजिस्ट्रेशन करता है। ऐसे में फिलहाल कोई नई पार्टी सामने नहीं आई है।

सचिन पायलट की बात करें तो न अब तक उन्होंने और न ही उनके समर्थकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है और न ही ऐसी कोई घोषणा की है। जबकि अगर नयी पार्टी बनानी हो तो आवेदनकर्ताओं को नियमानुसार शपथ पत्र देना पड़ता है कि वे किसी भी अन्य राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं। सचिन पायलट या कोई और नेता हो, नयी पार्टी के लिए तब तक आवेदन नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य बने हुए हैं।

चूँकि चुनाव में अब ज़्यादा समय नहीं बचा है तो इतने कम समय में नयी पार्टी बनाकर संसाधन जुटाना कोई मामूली बात नहीं इसलिए शायद सचिन पायलट  की नयी पार्टी की सम्भावना पर ब्रेक तो लग ही चूका है।  अब आने वाला वक़्त ही तय करेगा की पायलट कांग्रेस से जुड़े रहते है या कोई अन्य पार्टी जॉइन करते है।