चुप तुम रहो, चुप हम रहे, ख़ामोशी को ख़ामोशी से बात करने दो
गहलोत पायलट के बीच आलाकमान के करवाया सीज़फायर
हिंदी फिल्म 'इस रात की सुबह नहीं' के एक गाने की तर्ज़ पर 'चुप तुम रहो, चुप हम रहे, ख़ामोशी को ख़ामोशी से बात करने दो' की तरह गहलोत और पायलट के बीच आलाकमान ने फ़िलहाल सियासी सीज़फायर तो करवा दिया है लेकिन खामोश पड़ा लावा कब सुलग उठे यह तो वक़्त ही बताएगा।
कल दिल्ली में देर रात कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर चार घंटे चली बैठकों के दौर के बाद राजस्थान कांग्रेस की आपसी खींचातानी को सुलझाने पर फिलहाल सहमति बन गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार खड़गे के निवास पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत को साथ बैठाकर सियासी गिले शिकवे दूर करवाए गए। दोनों से अलग अलग भी बैठक हुई। बाद में संगठन महासचिव केसी वेणुगापोल ने दोनों नेताओं को मीडिया के सामने लाकर एकजुटता से साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की।
हालाँकि बैठक के बाद पायलट और गहलोत की चुप्पी से कई सवाल के जवाब अभी भी अनुत्तरित रह गए है जैसे की पायलट की की तीनों मांगों और सियासी मुद्दों पर क्या फैसला हुआ ? सुलह के फॉर्मूले को उजागर नहीं करके अभी केवल हाईकमान पर फैसला छोड़ने की बात कही है। माना जा रहा है कि पायलट अब सुलह के बाद आंदोलन नहीं करेंगे।
आगे क्या होगा ?
माना जा रहा है की सुलह के बाद मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत के पास ही रहेगा, वहीँ पायलट के पास पीसीसी यानि प्रदेशाध्यक्ष का पद रहेगा वहीँ गोविन्द सिंह डोटासरा को उपमुख्यमंत्री का पद सौंपा जा सकता है।
लेकिन सवाल यह है की सार्वजनिक मंचो पर एक दूसरे पर खुलेआम कीचड उछालने के बाद गहलोत पायलट के रिश्ते सहज रह पाएंगे। चुनावो में टिकट वितरण के दौरान फिर से एक दूसरे पर वर्चस्व की लड़ाई को रोकने के लिए आलाकमान के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होने वाली है।