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पूर्व लिवरपूल एफसी अकादमी के कोच जेरार्ड नुस की जिंक फुटबॉल खिलाडिय़ों से बातचीत

जुनून और भूख सफल होने के प्रमुख स्तंभ : जेरार्ड नुस

 

जेरार्ड का मानना है कि जिंक फुटबॉल जैसी पहल के साथ देश सही दिशा में जा रहा है।

उदयपुर। प्रतिष्ठित स्पेनिश कोच जेरार्ड नुस, जिन्होंने पहले स्टीवन गेरार्ड, ज़ाबी अलोंसो, फर्नांडो टोरेस जैसे फुटबॉल के दिग्गजों के साथ काम किया है, ने आज जिंक फुटबॉल अकादमी के खिलाडिय़ों से बातचीत की। उन्होंने जिंक फुटबॉल में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की सराहना करते हुए युवा फुटबॉलरों से इसका अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया। जेरार्ड ने कहा कि जुनून, भूख और अधिक से अधिक प्रशिक्षण लेने की इच्छा एक खिलाड़ी को दूसरे से अलग करती है।

अपने अनुभवों को रेखांकित करते हुए जेरार्ड ने कहा कि हालांकि कभी-कभी हारना ठीक होता है, लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि हार को रचनात्मक तरीके से लिया जाए और उस पर पछताने के बजाय खुद को उससे उबरने के लिए तैयार किया जाए। हार मानने के लिए अलग-अलग बहाने हो सकते हैं, लेकिन एक खिलाड़ी को हमेशा अपनी गलतियों से सीखना चाहिए और अपने कोच या मेंटर की मदद से उन पर काम करना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि जिंक फुटबॉल जैसी पहल जो पूरी तरह से जमीनी स्तर के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है, यह निश्चित रूप से भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। जिंक फुटबॉल में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं प्रभावशाली हैं। युवा खिलाडिय़ों को विशेषाधिकार महसूस करना चाहिए और इसे अपने वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के अवसर के रूप में लेना चाहिए। जेरार्ड का मानना है कि जिंक फुटबॉल जैसी पहल के साथ देश सही दिशा में जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि जिंक फुटबॉल राजस्थान में फुटबॉल क्रांति की शुरुआत करने के लिए वेदांता हिंदुस्तान जिंक ग्रुप की एक पहल है। यह उदयपुर के पास जावर में प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण के साथ अपनी तरह का एक अनूठा जमीनी विकास कार्यक्रम (ग्रासरूट प्रोग्राम) है। यह कार्यक्रम बड़ी सफलता से सामाजिक और सामुदायिक विकास के लिए एक उपकरण के रूप में फुटबॉल का उपयोग कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि युवा लडक़ों और लड़कियों के पास फुटबॉल के माध्यम से खुद को व्यक्त करने का एक सफल मंच हो।